कहते हैं कि लगन और मेहनत दोनों हो तो आप किसी भी मुश्किल को परास्त कर सकते हैं। देश और दुनिया में तमाम ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिसमें यह कहावत हकीकत में सटीक बैठी है। कुछ इसी तरह की हकीकत से हम आपको रूबरू कराएंगे जो मध्य प्रदेश के इंदौर से जुड़ी है। तमाम तरह की चुनौतियों को चुनौती देते हुए अंकिता नागर ने वो कामयाबी हासिल की जिसके चर्चे आम हैं। अंकिता ने कठिन परिश्रम की बदौलत सिविस जज परीक्षा में कामयाबी हासिल की।
बनना चाहती थी डॉक्टर लेकिन
अंकिता नागर का कहना है कि वो डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन खर्चीली पढ़ाई को वो वहन नहीं कर सकती थीं। उनके घर की माली हालत उनके सपनों पर ग्रहण का काम कर रही थी। लेकिन उनके मन में कुछ अच्छा करने का जज्बा हिलोरे मार रहा था और उन्होंने सिविल जज की तैयारी करने का फैसला किया। उनकी पढ़ाई ज्यादातर सरकारी वजीफे पर हुई है।
समय मिलने पर बेचती थी सब्जी
अंकिता का कहना है कि जब भी उन्हें समय मिलता था वो अपने पिता के साथ सब्जी बेचने का काम करती थीं। उनके लिए पिता का हाछ बंटाना भी जरूरी था। शुक्र है कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिला और उसका उन्होंने सदुपयोग किया। उनकी पढ़ाई लिखाई में यूट्यूब मददगार बना। हालांकि उन्हें सरकार की तरफ से वजीफा मिल रहा था। लेकिन उनके सामने आर्थिक चुनौती थी।
गोल पर फोकस करने की जरूरत
वो कहती हैं कि उनका संदेश उन बच्चों के लिए है जिन्हें हर तरह की सुविधा मिलती है उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार होने के साथ कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उनके सामने तो फार्म की फी तक भरने में मुश्किल थी। किसी तरह उन्होंने उस बाधा पर भी विजय पाई। बहुत से लोग कहा करते थे कि अब शादी कर लो। लेकिन उनके माता पिता ने हमेशा पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा। बता दें अनुसूचित जाति कैटिगरी में सिविल जज एग्जाम में अंकिता पांचवीं पोजिशन पाने में कामयाब हुईं।