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GST on Paratha: परांठे के शौकीन हैं तो चुकाने होंगे ज्यादा दाम, लोग ले रहे चुटकी

Updated Jun 12, 2020 | 16:11 IST

Paratha are not Rotis and will attract 18% GST: लोग परांठे को रोटी का ही एक प्रकार मानते हैं लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग की कर्नाटक बेंच ने इसकी व्याख्या अलग ही प्रकार से की है।

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अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग की कर्नाटक बेंच ने जीएसटी का नियमन करते हुए परांठे को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा है
मुख्य बातें
  • अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग की कर्नाटक बेंच ने परांठे और रोटी की अलग व्याख्या की है
  • रोटी पर जीएसटी 5 फीसदी होगा लेकिन पराठे पर 18 फीसदी देना होगा
  • महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस नए नियम पर चुटकी ली है

नई दिल्ली: भारतीय परांठे के बेहद शौकीन होते हैं और आमतौर पर परांठे को रोटी का ही उच्च फार्म माना जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं है, अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग की कर्नाटक बेंच ने जीएसटी का नियमन करते हुए परांठे को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा है यानि कि बाहर खाने पर रोटी पर लगने वाला जीएसटी 5 फीसदी होगा लेकिन पराठे पर 18 फीसदी का टैक्स देना होगा। 

एएआर ने कहा, रोटी (1905) शीर्षक के अंतर्गत आने वाले प्रोडक्ट्स पहले से तैयार और पूरी तरह से पकाए गए फूड होते हैं जबकि दूसरी ओर पराठा को खाने से पहले गर्म करना होता है। इस आधार पर एएआर पराठा को 1905 के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं कर सकती इसलिए यह जीएसटी की 99ए एंट्री के तहत भी नहीं आएगा

एक प्राइवेट फूड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने यह अपील की थी कि परांठे को खाखरा, प्लेन चपाती या रोटी की कैटेगिरी में रखा जाना चाहिए लेकिन एएआर ने इससे अलग राय रखी है।

उद्योगपति और महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस नए नियम पर चुटकी लेते हुए कहा कि फिलहाल देश में फिलहाल कई सारी मुसीबत चल रही है, ऐसे में परांठे के अस्तित्व पर भी संकट आ गया है, मुझे पूरा यकीन है कि भारतीय जुगाड़ कौशल से 'परोटीस' (पराठा+रोटी) की नई नस्ल तैयार होगी जो किसी भी वर्गीकरण को चुनौती देगी।आमतौर पर लोग पराठा और रोटी को एक ही मानते थे लेकिन जीएसटी में फर्क से दोनों में अंतर भी स्वाभाविक रुप से दिखेगा।