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विदेश से लौट शुरू की नींबू की खेती, इस तरह की थी शुरुआत, अब कमा रहे लाखों में

Updated Jan 19, 2021 | 20:41 IST

केरल के कोट्टायम जिले के बाबू जैकब ने 2010 में विदेश से लौटने के बाद नींबू की खेती करने की सोची। इसके बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की और धीरे-धीरे सफलता हासिल की। बाद में उनकी इससे कमाई लाखों में होने लगी।

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बाबू जैकब

वैसे तो नींबू के कई फायदे हैं। कई व्यंजनों में इसका उपयोग किया जाता है। इसका अलग-अलग उपयोग होता है, लेकिन बाबू जैकब के लिए यह आय का एक स्रोत है। 2010 में बाबू ने विदेश में 15 साल बिताने के बाद अपने गृहनगर केरल के कोट्टायम जिले में लौटने का फैसला किया। उन्होंने बहरीन, पुर्तगाल और डेनमार्क में इंडस्ट्रियल वर्कर के रूप में विभिन्न कंपनियों में काम किया। 

भारत आकर उन्होंने नींबू की खेती करना शुरू किया और आज वो इससे लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। द बेटर इंडिया की खबर के अनुसार, उन्होंने बताया, 'बाजार में इसकी मांग तो देखते हुए नींबू की खेती करने का विचार मन में आया। सिर्फ रसोई के उपयोग के लिए ही नहीं, नींबू के और भी कई फायदे हैं क्योंकि इसमें पोटेशियम, फोलेट, मोलिब्डेनम होता है, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है।'

वह कहते हैं कि कुछ फल विशिष्ट मौसमों के दौरान ही मिलते हैं, लेकिन जब नींबू की बात आती है, तो यह अधिक आसानी से उपलब्ध होता है। आमतौर पर नींबू का पौधा तीन मौसमों के दौरान फल देता है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बाबू के बागान में नींबू सालभर प्रचुर मात्रा में होते हैं।

एक पेड़ से 100 किलो नींबू

वे बताते हैं कि पहले कदम के रूप में उन्होंने अपने पैतृक घर से 14 पौधे एकत्र किए और उन्हें अपने प्लॉट में लगाया। केवल चार सालों में उन्होंने लगभग 1000 किलोग्राम नींबू उगा और इसे 100 रुपए प्रति किलोग्राम में बेच दिया। उन्होंने कहा, 'मैं अपनी उपज मुख्य रूप से दुकानों और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में बेचता हूं। मुझे एक ही पेड़ से लगभग 80-100 किलोग्राम नींबू मिलता है। बाजार मूल्य के अनुसार, नींबू की कीमत बढ़ जाती है और घट जाती है। लेकिन जैसा कि मैंने नींबू से रेवेन्यू के मौके को समझा, तो मैंने अपनी खेती की जमीन का विस्तार किया।' 

फिर उन्होंने रबर के पेड़ों को काटकर अपनी 2 एकड़ जमीन में और पौधे लगाए। वर्तमान में उनके पास लगभग 250 नींबू के पेड़ हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में पेड़ अच्छी तरह से नहीं बढ़ रहे थे। विभिन्न मापदंडों के लिए मिट्टी का परीक्षण करने के बाद उन्होंने समझा कि इसमें कुछ तत्व नहीं थे, जो पौधे के विकास को प्रभावित कर रहे थे। खाद को मिट्टी में मिलाने से पौधों का विकास अच्छा होने लगा।