- बुलेटप्रूफ जैकेट में इस्तेमाल किये जाने वाले सबसे प्रसिद्ध है पदार्थ का नाम केवलर है
- केवलर काफी कठोर होता है और यह स्टील से लगभग पांच गुना मजबूत है
- जैकेट दो लेयर्स में बनती है, सबसे ऊपर सेरेमिक लेयर होती है, जिसके नीचे बैलिस्टिक लेयर
बुलेटप्रूफ जैकेट एक ऐसी जैकेट है जिसके आर-पार बंदूक की गोली नहीं जा सकती है तथा इस वजह से इसे पहनने के बाद आदमी के ऊपर बंदूक की गोली का भी कोई असर नहीं होता है और वो सुरक्षित रहता है, बताते हैं कि सबसे पहले इस तरह की जैकेट का आइडिया 15वीं सदी में आया, हालांकि ये जैकेट खास कारगर नहीं थी इटली में इसको धातुओं की कई परतें जोड़कर बनाया गया था।
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान फ्लेक जैकेट बनाई गई, इसमें बैलिस्टिक नाइलॉन फाइबर का इस्तेमाल होता था, लेकिन ये काफी भारी होती थी जिससे इसके इस्तेमाल में खासी दिक्कतें पेश आईं, तब साल 1960 में केवलर फाइबर (Kevlar fiber) की खोज हुई बस इसके बाद से ही वर्तमान बुलेटप्रूफ जैकेट का अस्तित्व सामने आया जिसके बाद से इसमें सुधार जारी है।
कैसे बनती है बुलेट प्रूफ जैकेट (How Bulletpr jacket Made)
बुलेट प्रूफ जैकेट को बनाने के लिए सबसे पहले इसके लिए जरूरी कपड़ों का भी निर्माण किया जाता है तथा इसके लिए फाइबर या फिलामेंट का उत्पादन किया जाता है जो कि वजन में काफी हल्का लेकिन बहुत ही मजबूत होता है। बुलेटप्रूफ जैकेट में इस्तेमाल किये जाने वाले सबसे प्रसिद्ध है पदार्थ का नाम केवलर है जो कि एक पैरा- रैमिड सिंथेटिक फाइबर होता है।
केवलर नामक प्लास्टिक अपनी क्रिस्टलीय प्रकृति के कारण काफी कठोर होता है। यह स्टील से लगभग पांच गुना मजबूत होता है। केवलर तंतुओं का उपयोग बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने में किया जाता है। इसकी एक परत की मोटाई बहुत ही कम होती है। कई परतों को मिलाकर जैकेट की मोटाई निर्धारित की जाती है। बड़ी गोली को रोकने के लिए ज्यादा परतों वाली जैकेट की आवश्यकता होती है।
Bulletproof jacket पर गोली लगने के बाद क्या होता है
ये जैकेट दो लेयर्स में बनती है, सबसे ऊपर सेरेमिक लेयर होती है, जिसके नीचे बैलिस्टिक लेयर लगाई जाती है, जब गोली बुलेटप्रूफ जैकेट से टकराती है तो सबसे पहले सैरेमिक लेयर पर पड़ती है, ये लेयर इतनी मजबूत होती है कि इससे टकराते ही गोली का आगे वाला सिरा टुकड़े-टुकड़े हो जाता है।
इससे गोली की गति कम हो जाती है वहीं सैरेमिक लेयर से टकराने पर गोली से भारी मात्रा में एनर्जी निकलती है तो बैलिस्टिक लेयर इस एनर्जी को सोख लेती है इससे जैकेट पहने हुए व्यक्ति बच जाते हैं या कम से कम नुकसान होता है।
ज्यादा भारी बुलेटप्रूफ जैकेट अच्छी नहीं मानी जाती
ज्यादा भारी बुलेटप्रूफ जैकेट को अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि इसे पहनने वाला आसानी से चल या भाग नहीं पाता है। जैकेट 3 किलो से लेकर 8 किलो तक भारी हो सकती है। इस जैकेट की कीमत इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले मैटेरियल के आधार पर तय होती है।
{सभी फोटो प्रतीकात्मक रूप से प्रदर्शित की गई हैं}