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धीमी होती धरती की चाल से बड़े हो रहे हैं दिन, जानिए वजह और किस बात का है डर

Updated May 13, 2020 | 21:20 IST

Earth's rotation slowing down: ताजा रिपोर्ट की मानें तो धरती के घूमने की रफ्तार और कम हो चुकी है और ये सिलसिला जारी है। इसके परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं, ऐसा कुछ रिपोर्ट्स में आंकलन लगाया गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Earth and Moon (NASA)

नई दिल्लीः हमारे सौर मंडल में पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन मौजूद है। धरती पर आए दिन कुछ बदलाव ऐसे होते रहते हैं जो इस जीवन पर सीधे तौर पर रोज तो असर नहीं डालते लेकिन इन छोटे-छोटे बदलावों को काफी समय के बाद बड़े रूप में देखा जा सकता है। नासा सहित दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियां लगातार होते इन बदलावों पर हर पल नजर रखती हैं और ऐसा ही एक बदलाव है जिस पर पिछले कुछ सालों से लगातार चर्चा हो रही है। शुरुआत में तो ये सिर्फ एक चर्चा थी लेकिन धीमे-धीमें ये एक गंभीर चर्चा का रूप ले चुका है।

धरती के घूमने की रफ्तार हुई कम

हम यहां बात कर रहे हैं धरती के घूमने की रफ्तार की। पृथ्वी 24 घंटे में एक गोल चक्कर पूरा करती है लेकिन इस समय में कई वर्षों से छोटे-छोटे बदलाव देखे गए हैं और वैज्ञानिकों की इस पर जांच जारी भी है। एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि मौजूदा समय में धरती के घूमने की रफ्तार तकरीबन 37 सेकेंड तक धीमी हो चुकी है, जो कि किसी भी लिहाज से छोटा बदलाव नहीं है। इसकी वजह से अब सौ साल पहले के मुकाबले दिन बड़े होते जा रहे हैं और मौजूदा समय में ये अंतर 1.7 मिलिसेकेंड का हो चुका है।

साल 2012 में नासा ने दी थी चौंकाने वाली जानकारी

नासा की वेबसाइट पर एक लेख मौजूद है जो कि 29 सितंबर 2012 को एलिजाबेथ जुबरित्सकी द्वारा लिखा गया था। इसमें साफ-साफ बताया गया था कि 30 जून 2012 को एक अतिरिक्त सेकेंड आपके समय में जुड़ गया और इसकी वजह है पृथ्वी के घूमने की रफ्तार जो कि धीमी होती जा रही है। इसके बारे में इतनी सटीक जानकारी इसलिए मौजूद है क्योंकि वैज्ञानिक दशकों से इस पर VLBI से नजर रखे हुए हैं। वीएलबीआई (वेरी लॉन्ग बेसलाइन इंटरफरोमेट्री) एक तकनीक है जिससे पृथ्वी के चाल पर नजर रखी जा सकती है।

क्या है इसकी वजह?

जाहिर तौर इतने बड़े बदलाव की कुछ ना कुछ वजह जरूर होगी और इस वजह को हर कोई जानना भी चाहेगा। नासा की कुछ रिपोर्ट्स में ये साफ कहा गया है कि पृथ्वी की चाल धीमी होने की वजह पृथ्वी और चांद के बीच की टाइडल फोर्स है और आने वाले समय में इससे पृथ्वी की रफ्तार और धीमी होती जाएगी। इस रिपोर्ट में ये भी जानकारी दी गई है कि डायनासौर युग में धरती पर एक दिन में 23 घंटे होते थे और 1820 में दिन ठीक 24 घंटों का होता था।

क्या होगा असर?

ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि क्या इस अजीबोगरीब बदलाव का पृथ्वी पर क्या असर पड़ेगा। क्या हम लोगों के सामने कोई ऐसी चीज है जिसको लेकर सतर्क रहना होगा? तमाम रिसर्च रिपोर्ट्स में बताया गया है कि धरती की चाल में हो रहे इस बदलाव से अंदर मौजूद 'टेक्टोनिक प्लेटों' पर काफी असर देखने को मिला है और इस वजह से भूकंप की संख्या में इजाफा हुआ है। चाहे वो समुद्री तूफान हो या पृथ्वी में कंपन, धरती की धीमी पड़ती इस रफ्तार का असर इन सभी चीजों पर पड़ता है, ऐसे में आने वाले समय में इंसान को इसको लेकर सचेत रहना होगा। अभी तक भूकंप का पूर्वानुमान लगाने का कोई तरीका मौजूद नहीं है लेकिन वैज्ञानिक इस पर तेजी से काम कर रहे हैं और उम्मीद यही कर सकते हैं कि इस गंभीर समस्या का हल जल्द ही विज्ञान के जरिए सामने आए।