Friendship day: दोस्ती का एहसास सबसे जुदा होता है। जीवन में कई बार ऐसा होता है जब रिश्तेदार भले ही आपके काम न आएं, पर दोस्त हर परेशानी में आपके साथ खड़े होते हैं। ऐसे में मित्रता को समर्पित एक खास दिन तो बनता है। हर साल अगस्त का पहला रविवार ऐसा ही दिन होता है, जब दुनियाभर में Friendship day मनाया जाता है। फ्रेंडशिप डे पर पढ़िये दोस्ती को समर्पित एक खूबसूरत कविता :
'बड़े नसीब से मिलता है दोस्त'
'बड़े नसीब से मिलता है,
एक सच्चा दोस्त,
नहीं तो पूरी ज़िंदगी,
बीत जाती है यूँ ही,
तलाश में- एक सच्चे दोस्त की,
सच तो ये है,
अधूरी ही नहीं,
बल्कि अर्थहीन है ज़िंदगी-
बिना सच्चे दोस्त के,
लेकिन दोस्ती मतलब- क्या ?
जहाँ हो मतलब, वहाँ दोस्ती कैसी ?
आखिर क्या है दोस्ती में जरूरी ?
साथ समय गुजारना ?
या बिना बोले भी
निभाई जा सकती है दोस्ती ?
क्या सुख-दुख बाँटना ही है दोस्ती ?
या है एक दूसरे की
भावनाओं को समझना ?
आखिर क्या है ऐसा कि,
यूँ ही रीती बीत जाती है जिंदगी ?
एक सच्चे मित्र की तलाश में,
नहीं आता कुछ भी हाथ,
आता है तो,
दोस्ती के नाम पर,
छलावा, स्वार्थ, कपट और धोखा,
दोस्ती का मुखौटा पहने,
निभाई जाती है दुश्मनी,
एक चेहरे के पीछे छिपे,
जब दिखाई देते हैं कई चेहरे,
तो उठ जाता है विश्वास,
इस दोस्ती शब्द से,
वज़ह भी है इसके पीछे,
हम समझते हैं,
उसे ही सच्चा दोस्त,
जो कहे- ठकुरसुहाती,
और करे प्रशंसा- भले ही हो झूठी,
हाँ, आसान नहीं ,
इस शब्द को समझना,
मित्रता है,
कृष्ण-सुदामा सी,
जहाँ नहीं है,
कोई प्रस्थिति का भेद,
विचारों का भले हो भेद,
लेकिन होता है तो,
सिर्फ समर्पण,
पूर्ण समर्पण,
मित्रता के लिये,
लुटा दे जो सब कुछ,
यहाँ तक कि अपनी पहचान,
अपना अस्तित्व,
क्या मिला है अभी तक,
ऐसा एक भी दोस्त,
जो कर दे,
सर्वस्व न्यौछावर- मित्रता के लिये,
जो कहे बिना भी,
समझ ले,
दिल का दर्द,
जो मित्र की प्रगति, उन्नति
और लक्ष्य-प्राप्ति के लिये,
झोंक दे अपनी,
समस्त ऊर्जा,
जिसका प्रतिपल चिंतन
सिर्फ मित्र ही हो,
और यदि ऐसा है,
एक भी मित्र पास,
तो यक़ीन मानिये,
आप हैं दुनिया में,
सबसे भाग्यशाली,
जिंदगी में सब कुछ पाना,
भले हो आसान,
लेकिन सबसे मुश्किल है,
मिलना एक सच्चा दोस्त,
क्यूँकि सच्चा दोस्त, प्रयासों से नहीं,
नसीब से मिलता है,
और है- आपके पास
यदि एक भी ऐसा दोस्त,
तो रखना उसे,
सदैव संभाल के,
अपनी जान से भी ज्यादा,
उसका जब तक है साथ,
तब तक ,
कुछ ना बिगड़ेगा,
चाहे आयें कितने भी झंझावात,
सर्वस्व लुटा कर भी,
बचा पाये ऐसा दोस्त,
तो भी होगा सस्ता सौदा,
क्योंकि वो नहीं होने देगा,
कोई भी नुकसान,
सच तो ये है कि
सच्चे दोस्त का जाना है,
अपूरणीय क्षति,
कुछ हो ना हो,
जिंदगी में,
लेकिन है एक भी सच्चा दोस्त,
तो कभी बेनूर नहीं होती जिंदगी,
दोस्त है तो ही,
जिंदगी,जिंदगी है,
वरना खाली लिफ़ाफ़े से ज्यादा,
कुछ नहीं है जिंदगी।'
डॉ. श्याम सुन्दर पाठक 'अनन्त'
(कवि उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग, नोएडा में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं )