- 2017 से फल-सब्जी बेचने को मजबूर हुई रईसा अंसारी
- हमेशा से वैज्ञानिक बनना चाहती थी रईसा अंसारी
- मुझे पढ़ाई का जुनून था और किताबें मेरी सबसे अच्छी सहेली हुआ करती थीं: रईसा
इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के मालवा मिल चौराहे पर आम बेचते वक्त मोल-भाव करते ग्राहकों से घिरीं रईसा अंसारी (36) को देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि उन्होंने पदार्थ विज्ञान में पीएचडी की उपाधि हासिल कर रखी है। वह दो दिन पहले अचानक चर्चा में आयीं, जब सड़क किनारे ठेले खडे़ कर सामान बेचने वालों को बलपूर्वक हटाने और उनके ठेले जब्त करने की इंदौर नगर निगम (आईएमसी) की मुहिम के खिलाफ उन्हें फर्राटेदार अंग्रेजी में अपना गुस्सा जताते देखा गया था। इस वाकये के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
अपनी जिंदगी की कहानी सुनाते हुए रईसा ने शुक्रवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, 'मैं हमेशा से वैज्ञानिक बनना चाहती थी। इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मैंने पदार्थ विज्ञान में पीएचडी की उपाधि हासिल की और इसके बाद कुछ समय तक स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के रूप में विद्यार्थियों को पढ़ाया। लेकिन अचानक कुछ पारिवारिक दिक्कतें आ जाने के बाद मुझे वर्ष 2017 में फल-सब्जी बेचने के अपने खानदानी पेशे को अपनाना पड़ा।' 36 वर्षीय महिला ने कहा कि मुझे पढ़ाई का जुनून था और किताबें मेरी सबसे अच्छी सहेली हुआ करती थीं। लेकिन हालात की करवटों के कारण मैं किताबों से दूर हो गयी।
रईसा अविवाहित हैं। उनका कहना है कि निजी और पारिवारिक परेशानियों से जूझने के दौरान जिंदगी के उतार-चढ़ाव ने उनकी सोच को बदल दिया है। उन्होंने कहा, 'शिक्षा हासिल करने के साथ धन कमाना भी जरूरी है। हालांकि, मौका मिला तो मैं वैज्ञानिक बनने के अपने अधूरे सपने को जरूर पूरा करना चाहूंगी।' इन दिनों फल बेच कर आजीविका कमा रही महिला ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान मेरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक उम्मीद जगी है और हमने फल-सब्जी का कारोबार दोबारा शुरू किया है।
ठेलों पर सामान बेचने वाले छोटे कारोबारियों के प्रति आईएमसी के मैदानी कर्मचारियों के रवैये को असंवेदनशील करार देते हुए रईसा ने कहा, 'ये कर्मचारी खुद को राजा और हमें (ठेलों पर सामान बेचने वाले छोटे कारोबारी) भिखारी से भी बदतर समझ रहे हैं।'
गौरतलब है कि स्थानीय प्रशासन ने कोविड-19 से बचाव के उपाय के तहत हाल ही में आदेश जारी किया था कि अगर हाथ ठेलों पर सामान बेचने वाले लोगों ने सड़क के किनारे एक ही स्थान पर खड़े होकर व्यापार किया, तो उनके ठेले जब्त कर लिये जायेंगे। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले छोटे कारोबारियों से धड़ल्ले से जुर्माना भी वसूला जा रहा था। बहरहाल, गुजरे दो दिनों में रईसा और उनके जैसे कुछ ठेले वालों की परेशानियों के अलग-अलग वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इन छोटे कारोबारियों को स्थानीय जनता और राजनेताओं का जोरदार समर्थन मिला है। इसके बाद आईएमसी को ठेले जब्त करने के अपने आदेश के अमल पर फिलहाल रोक लगानी पड़ी है।
इंदौर, देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में पिछले चार महीनों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 6,556 मरीज मिले हैं। इनमें से 302 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि इलाज के बाद 4,549 लोग इस महामारी से उबर चुके हैं।