- केरल के मलप्पुरम में लोगों ने पटाखों भरा अनानास खिलाकर ली एक प्रेग्नेंट हथिनी की जान
- सोशल मीडिया पर कई लोगों ने भावनात्मक और विचारोत्तेजक संदेश भी लिखे
- लोग इस घटना से गुस्से के साथ स्तब्ध भी हैं और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं
नई दिल्ली: जानवरों के साथ क्रूरता कोई नई बात नहीं है मानव जानवरों पर सदियों से अत्याचार करता आया है लेकिन केरल (Kerala) के मल्लपुरम में जो हुआ वो किसी भी मायने में क्षमा के योग्य नहीं है खासतौर पर इसलिए भी कि ये एक हथिनी की मौत का मामला नहीं है उसके साथ उसके अजन्मे बच्चे की भी मौत हो गई क्योंकि वो हथिनी प्रेग्नेंट (Pregnant Elephant) थी, जिसकी वहां कुछ लोगों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए जान ले ली।
मलप्पुरम के कुछ लोगों ने हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिला दिया, जिससे उसकी मौत हो गई यह हथिनी प्रेग्नेंट थी और इससे उसके बच्चे की भी जान चली गई, लोग इस घटना से गुस्से के साथ स्तब्ध भी हैं। लोग मल्लपुरम के उन लोगों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं जिन्होंने ऐसा घृणित कार्य किया और अपने मनोरंजन की खातिर एक बेजुबान जानवर की जान ले ली।
वहीं इस घटना से व्यथित मध्य प्रदेश के वन विभाग के एक अधिकारी अभिषेक शर्मा (Abhishek Sharma) ने एक वीडियो पोस्ट फेसबुक (Facebook) पर किया है जिसमें वो हाथी के बारे में बता रहे हैं, ये इतनी भावुक कविता है जिसे सुनकर आपकी आंखे भर आएंगी।
वहीं इससे पहले नाराज नेटिजन्स ने पशुओं के साथ क्रूर दुर्व्यवहार ट्विटर पर हाथी कला (Elephant Art) को साझा किया था और और उन्होंने ट्विवटर पर अपने आक्रोश को इनके माध्यम से प्रकट भी किया था। वहीं बीजेपी सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी भी इससे काफी नाराज हैं और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ नाराजगी जताते हुए लिखा था कि मल्लपुरम भारत का सबसे हिंसक जिला है...
प्रेग्नेंट हथिनी को बारुद से भरे अनानास खिला दिए
केरल के मलप्पुरम जिले में ये घटना सामने आई है यहां एक हथिनी को कुछ लोगों ने मनोरंजन के चलते उसे बारुद से भरे अनानास (Pineapple) खिला दिए, उस हथिनी ने भी फल समझकर उसे खा लिया। सबसे ज्यादा दुखद बात ये कि वो हथिनी प्रेग्नेंट (Pregnant Elephant) थी, वो अनानास उसके मुंह में जाते ही फट गया जिसकी वजह से उसका मुंह बेहद जख्मी हो गया और वो बेहाल हो गई।
इस घटना का जिक्र एक वन अधिकारी मोहन कृष्णन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है उन्होंने बताया कि यह हथिनी खाने की तलाश में जंगल से बाहर पास के गांव में चली गई थी जहां वह खाने की तलाश मे थी कि वहां के कुछ लोगों ने उसे पटाखों से भरा हुआ अनानास खाने के लिए दिया जो उसके मुंह में जाकर फट गया। मोहन कृष्णन्न नेआगे लिखा, 'वन विभाग अपने साथ दो हाथियों को लेकर गया ताकि उसे नदी से बाहर निकाल सकें लेकिन उसने किसी को अपने नजदीक नहीं आने दिया।'
हथिनी दर्द और भूख के मारे घूमती रही और चोट की वजह से वह कुछ खा भी नहीं पा रही थी
दर्द से कराहती हथिनी आखिर में वहां की एक नदी में जाकर खड़ी हो गई, उसने दर्द से बचने के लिए अपना मुंह पानी में डाल रखा था ताकि उसे दर्द में थोड़ी राहत मिल सके मगर ऐसा हो ना सका वो असहनीय पीड़ा को बर्दाश्त करती रही। अनानास में रखे पटाखे इतने भयानक थे कि उसकी जीभ और मुंह बुरी तरह से जख्मी हो गए, हथिनी दर्द और भूख के मारे घूमती रही और अपनी चोट की वजह से वह कुछ खा भी नहीं पा रही थी और बेहाल थी।
बहुत ज्यादा कोशिश किए जाने के बाद भी वह बाहर नहीं आई और 27 मई को पानी में खड़े-खड़े उसके प्राण निकल गए, इसके बाद उसे एक ट्रक में वापस वन में ले जाया गया, जहां उसे अंतिम विदाई दी गई उस असहनीय पीड़ा को याद किया गया जिससे वो प्रेग्नेंट हथिनी गुजरी होगी।