नई दिल्ली: भारत में रविवार को मदर्स डे मनाया जा रहा है। मदर्स डे दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। भारत में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। ये दिन खासतौर से मां को समर्पित है। इस खास दिन पर लोग अपनी मां के प्रति प्यार जताते हैं। वैसे तो मां के प्रति प्यार जताने लिए एक दिन कुछ भी नहीं है। कोई भी जिंदगी भर मां की ममता का कर्ज नहीं उतार सकता। हालांकि, हर रोज जब कोई जिंदगी की उलझनों से दो-चार रहता है तो मदर्स डे उसके लिए बेहद मायने रखता है। सभी लोग अपनी-अपनी अंदाज से इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं और मां को खास महसूस कराते हैं। आप शायरी के जरिए भी अपनी मां के प्रति प्यार और सम्मान जता सकते हैं। पेश हैं वो 10 शायरी जिनमें ममता का सागर सिमटा हुआ मालूम पड़ता है।
1
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती
(मुनव्वर राना)
2
मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार
(निदा फाजली)
3
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं
सफर की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
(आलोक श्रीवास्तव)
4
मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ मां का आंचल
मुद्दतों बाद हमें नींद सुहानी आई
(इकबाल अशहर)
5
भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े मां सपने में आए
(अख्तर नज्मी)
6
एक दुनिया है जो समझाने से भी नहीं समझती
एक मां थी बिन बोले सब समझ जाती थी
(अज्ञात)
7
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने मां पुकारा मुझे
मैं एक शाख से कितना घना दरख्त हुई
(हुमैरा रहमान)
8
हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका
(अज्ञात)
9
स्याही खत्म हो गई 'मां' लिखते-लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी
(अज्ञात)
10
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
(मुनव्वर राना)