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मुख्य बातें
- वास्तु के अनुसार सजाएं मां का दरबार
- मुख्य द्वार पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं
- लाल और पीले फूलों से चौकी का करें श्रृंगार
जगतजननी मां दुर्गा की पूजा के लिए जरूरी है कि तन-मन से माता की पूजा की जाए। नवरात्रि में नौ दिनों तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। हर माता की पूजा का महत्व अलग होता है, लेकिन पूजा विधि एक ही होती है। वैसे ही माता की कें मंदिर की सजावट में भी आपको बदलाव की जरूरत नहीं होगी।
मंदिर को सजाने के लिए सबसे पहले वास्तु का ध्यान देना चाहिए। उसके बाद मंदिर या माता के दरबार को फूल-पत्तियों और झालरों से सजा कर विविध और सुंदर रूप दिया जा सकता है। तो आइए जानें की नवरात्रि पर माता के मंदिर या दरबार को कैसे सजाया जाए कि मां आप पर अपने आर्शीवाद का पिटारा खोल दें।
माता के मंदिर को सजाने के साथ वास्तु के नियम भी जानें
- माता का मंदिर या दरबार नवरात्रि में चौकी पर सजाएं। यह चौकी उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण पर होनी चाहिए। प्रतिमा और कलश भी इस दिशा में स्थापित किए जाने चाहिए।
- जब आप माता की पूजा करें तो आपका मुख पूर्व या उत्तर होना चाहिए। इसलिए माता को चौकी पर ऐसे स्थापित करें दिशा दोष न होने पाए।
- मां दुर्गा को हमेशा लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें।
- अखंड ज्योति की स्थापना आग्नेय कोण में करें।
- शाम के समय पूजन स्थान पर इष्ट देव की पूजा भी होनी चाहिए और घी का दीया जलाना जरूरी है।
- पूजा संबंधी सामान को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।
ऐसे करें माता के दरबार की सजावट
- माता के दरबार, मंदिर या चौकी को लाल और पीले फूलों से सजाएं। इसके साथ ही आप रोज फूलों का रंग देवी के विभिन्न स्वरूपों पर चढ़ने वाले फूलों से कर सकते हैं। इससे मां प्रसन्न होंगी।
- जिस कमरे या मंदिर में आप पूजा कर रहे हैं वहां दीवारों पर हल्का पीला या गुलाबी रंग करवाएं। इस कमरे का रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करेगा।
- मंदिर में पूरी नवरात्रि आपको वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए गुग्गुल, लोबान, कपूर, देशी घी आदि के धुआं करना चाहिए।
- घर की उत्तर-पूर्व दिशा में प्लास्टिक या लकड़ी का पिरामिड जरूर रखें।
- मुख्य द्वार पर नवरात्रि के पहले दिन ही दोनों ओर स्वास्तिक बनाएं और आलते से माता के कदम पूजा स्थल तक बनाते हुए ले जाएं।
- माता के मंदिर को बिजली के झालरों या आर्टिफिशियल फूलों की लड़ियों से सजाएं।
- चौकी के पास रंगोली बनाएं और उस पर रोज दीपक भी जलाएं
- कुमकुम या रोली से माता के मंदिर के बाहर भी स्वास्तिक बनांए