उत्तराखंड पयर्टन के लिहाज से और भी चीजों के लिहाज से खासा अहम है और यहां के तमाम रंग हैं जिनके बारे में आप जानते ही होंगे मगर आज हम आपको यहां की एक खाने वाली डिश पनीर का यहां से कनेक्शन बताने जा रहे हैं, उत्तराखंड में एक गांव में पनीर इतना ज्यादा बनाया जाता है कि गांव का नाम ही पनीर विलेज (Paneer Village) पड़ गया है, अच्छी बात ये है कि ये एक पहचान के साथ यहां के लोगों के लिए कमाई का भी बेहतरीन जरिया बन चुका है जिससे वो अच्छे से जीवन-यापन कर रहे हैं।
टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक के रौतू की बेली गांव का पनीर ही यहां की पहचान बन चुका है, इसे पनीर विलेज के नाम से जाना जाता है, यहां के पनीर की मांग टिहरी, उत्तरकाशी ही नहीं देहरादून,मसूरी से लेकर दिल्ली तक भी है और वो इसकी मांग करते हैं।
रौतू की बेली गांव में अधिकतर लोग लोग खेतीबाड़ी करते हैं और गाय भैंस पालते हैं,फसलों के उत्पादन के साथ ही ये लोग घरों में पनीर बनाते हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और वो उनके रोजगार का जरिया भी बना हुआ है।
बताते हैं कि एक वक्त था जब ये गांव पहाड़ के दूसरे इलाकों की तरह पलायन से जूझ रहा था क्योंकि यहां रोजगार के अवसर बहुत कम थे लेकिन आज इस गांव को यहां के शानदार पनीर के लिए जाना जाता है।
रौतू की बेली गांव देहरादून-मसूरी-उत्तरकाशी- टिहरी को जोड़ने वाले थत्यूड़-भवान सड़क के किनारे बसा है यहां के गांव वाले पारम्परिक तरीके से पनीर बनाते हैं और सुबह सड़क किनारे दुकानों में ही पनीर बेचते हैं।
पनीर बनाने का काम एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया जो कि आज एक बड़े व्यवसाय का रूप ले चुका है। पनीर उत्पादन ने इस गांव को पहचान दिलाई, साथ ही यहां के युवाओं को रोजगार भी दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि शुद्धता और गुणवत्ता के कारण ही उनके यहां पनीर की डिमांड लगातार बढ़ रही है। पहले गांव के 35 से 40 परिवार ही पनीर बनाते थे, लेकिन अब गांव के करीब-करीब सभी परिवार इस बिजनेस से जुड़े हैं।