नई दिल्ली: हमारा देश आज 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। आज ही के दिन हमारा संविधान लागू हुआ था, ऐसे में जरूरत है कि हम अपने संविधान के बारे में जानें। संविधान की प्रस्तावना को पढ़ें, उसे समझें। प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है। प्रस्तावना उन उद्देश्यों पर आधारित है जो 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में पेश किए गए थे। 22 जनवरी, 1947 को इसे अपनाया गया। भारत के संविधान की शुरुआत में प्रस्तावना लिखी हुई है।
प्रस्तावना एक दस्तावेज का परिचयात्मक विवरण है जो दस्तावेज के दर्शन और उद्देश्यों को समझाता है। संविधान में यह इसके निर्माण के पीछे के इतिहास और राष्ट्र के मूल मूल्यों और सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है।
ये है संविधान की प्रस्तावना
हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्रदान करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं।
पिछले कुछ दिनों में संविधान को लेकर बहस काफी तेज हुई है। इसी दौरान कई राज्य सरकारों ने फैसला लिया है कि स्कूलों में बच्चों से हर रोज संविधान की प्रस्तावना का पाठ कराया जाएगा।