लाइव टीवी

अनोखा आदेश: अब इन कपड़ों में स्कूल नहीं आ सकते शिक्षक, पकड़े गए तो खैर नहीं

Updated Jul 15, 2022 | 15:24 IST

Trending News: बिहार के वैशाली जिले में शिक्षकों को लेकर अनोखा आदेश जारी हुआ है। जिसमें कहा गया है कि कोई भी शिक्षक जींस-टीशर्ट और कुर्ता पायजामा पहनकर स्कूल नहीं जा सकते।

Loading ...
शिक्षकों को लेकर अनोखा आदेश जारी
मुख्य बातें
  • बिहार के वैशाली जिले में शिक्षकों को लेकर अनोखा आदेश जारी
  • जींस-टीशर्ट और कुर्ता-पायजामा में स्कूल नहीं आ सकते शिक्षक
  • हाल ही में एक टीचर को लेकर सोशल मीडिया पर मचा था बवाल

Trending news: सोशल मीडिया पर हमेशा किसी ना किसी मामले को लेकर माहौल गरमाया ही रहता है। हाल ही में बिहार के लखीसराय से एक शिक्षक का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो कुर्ता पायजामा पहने हुए नजर आए थे। इस ड्रेस को लेकर जिलाधिकारी ने शिक्षक महोदय को जमकर फटकार लगाई थी। वहीं, अब वैशाली जिले का एक मामला छाया हुआ है, जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी ने शिक्षकों को लेकर अनोखा आदेश जारी किया है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। DEO साहब ने आदेश जारी करते हुए कहा कि कोई भी टीचर स्कूल में कुर्ता पायजामा, जींस-टी शर्ट पहनकर नहीं आ सकते हैं। अगर कोई टीचर इन ड्रेस में पकड़ा गया तो उनकी खैर नहीं। 

वैशाली के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) वीरेंद्र नारायण ने आदेश जारी कर शिक्षकों को फार्मल पैंट एवं फुल या हाफ शर्ट में ही स्कूल में शिक्षण कार्य करने का निर्देश दिया है। डीईओ ने जिले के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तथा प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को जारी आदेश में लिखा है कि आए दिन सोशल मीडिया पर विद्यालयों में पठन-पाठन की अवधि में शिक्षकों के कुर्ता-पायजामा, जींस-टी शर्ट पहन कर कक्षा संचालन करने से शिक्षकों की नकारात्मक छवि प्रदर्शित हो रही है।

ये भी पढ़ें -  Viral Video: बंदर और कुत्ते के बीच ऐसी दोस्ती, दोनों का अंदाज लोगों का दिल जीत रहा

DEO साहब का सख्त आदेश

पत्र में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने आगे लिखा है कि समाज निर्माण एवं छात्र-छात्राओं के चरित्र निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। शिक्षक न सिर्फ विद्यालय में बल्कि विद्यालय अवधि के बाद भी छात्र-छात्राओं के मार्गदर्शक की भूमिका में होते हैं। पत्र में कहा गया है कि विद्यालय अवधि में फार्मल पैंट, फुल या हाफ शर्ट में ही विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य करें, जिससे उनकी सौम्यता एवं शिष्टता बच्चों के लिए भी अनुकरणीय बन सके।