नई दिल्ली: आधुनिकता के इस दौर में हर चीज अब पैकेज्ड होती जा रही है, रसोई की अहम आवश्यकता आटा (Flour) भी काफी समय से पैकेटों में आ रहा है, कभी दौर हुआ करता था जब लोग घर से गेहूं पिसाने चक्की पर ले जाते थे और पिसा हुआ आटा घर लाते थे, कई जगहों पर आज भी यही सिस्टम जारी है।
हम बात करे हैं उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की एक खास आटा चक्की की (Muzaffarnagar Flour Mill) जो पानी से चलती है और एक खास बात ये कि ये करीब 168 साल पुरानी है यानी अंग्रेजों के टाइम की ये चक्की है।
इससे पीसा हुआ आटा एकदम ठंडा होता है
अंग्रेजों ने करीब 168 साल पहले ये चक्की बनवाई थी मजे की बात ये कि आज भी यह चक्की आज भी चल रही है और लोग इसका पीसा आटा खाते हैं इसका इस्तेमाल करने वाले बताते हैं कि इससे पीसा हुआ आटा एकदम ठंडा होता है।
इस पनचक्की में जो पत्थरों से आटा पिसा जाता है वह कुदरती पत्थर हैं
इस पनचक्की की विशेषता यह है कि नहर में पानी आने पर यह पानी से चलती है और इसका पिसा आटा ठंडा होता है, जो चार से छः महीने तक खराब नहीं होता। दूसरी विशेषता यह है कि इस पनचक्की में जो पत्थरों से आटा पिसा जाता है वह कुदरती पत्थर हैं जिसकी वजह से बताते हैं कि चक्की के पिसे आटे को खाने से पथरी जैसे अन्य रोग नहीं होते और गेहूं के सभी गुण इसमें बरकरार रहते हैं। कई पीढ़ियां इस आटे को खाकर बड़ी हो चुकी हैं और आज भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी है।