- एक शख्स टिकटॉक वीडियो के जरिए बिछ़ड़े परिवार से मिल गया
- यह शख्स साल 2018 में घर से काम की तलाश में निकला था
- दूसरे राज्य से पिता को घर लेकर आया बेटा
नई दिल्ली: वक्त क्या करवट लेगा किसी को नहीं पता? कब नियति किसको अपने बिछड़े हुए से मिलवा दे? इस संबंध में कुछ भी निश्चित नहीं। ऐसा ही एक वाकया हाल में देखने को मिल जब एक शख्स टिकटॉक वीडियो के जरिए दो साल बाद बाद अपने बिछड़े परिवार से मिलने में कामयाब रहा। दरअसल, तेलंगाना का रहने वाला यह शख्स काम की तलाश में दो साल पहले घर से निकला था लेकिन कभी लौट नहीं पाया। हालांकि, पंजाब पुलिस पुलिस के एक कर्मी ने लोगों को भोजन वितरित करते से एक वीडियो बनाया जो परिवार तक किसी तरह परिवार तक पहुंच गया। शख्स का नाम आर वेंकटेश्वरलू है।
'मेरे पिता ट्रक में सो गए थे'
वेंकटेश्वरलू साल 2018 में काम की तलाश में दूसरे गांव जाने के लिए एक ट्रक पर सवार हुए थे, लेकिन कभी घर वापस नहीं आए। वेंकटेश्वरलू के बेटे आर पेद्दिराजू ने बीबीसी को बताया, 'मेरे पिता ट्रक में सो गए थे और ड्राइवर को पता नहीं था कि उन्हें कहां जाना है। कई किलोमीटर बाद ड्राइवर को एहसास हुआ कि मेरे पिता ट्रक में है और उसने बीच रास्ते में उन्हें उतार दिया।' दो साल तक वेंकटेश्वरलू के परिवार ने उन्हें हर जगह खोजा लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी। लेकिन किस्मत ने उस वक्त नया मोड़ लिया जब पेद्दिराजूके एक दोस्त ने पंजाब के एक पुलिसकर्मी द्वारा शेयर किया गया एक टिकटॉक वीडियो देखा।
पेद्दिराजूके के दोस्त ने वीडियो देखने के बाद उसके पिता वेंकटेश्वरलू को पहचान लिया। उसने तुरंत अपने दोस्त को बताया जिसके बाद उन्होंने स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया। परिवार ने प्रशासन से वेंकटेश्वरलू को घर लाने का अनुरोध किया। पंजाब पुलिस के कॉन्स्टेबल अजायब सिंह अक्सर लोगों को खाना बांटने के टिकटॉक वीडियो शेयर करते हैं। ऐसे ही अपने एक वीडियो में उन्होंने वेंकटेश्वरलु की भी रिकॉर्डिंग की थी। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक आदमी छड़ी के साथ चल रहा है और पुलिसकर्मी उसे भोजन की पेशकश कर रहा है। इस दौरान पुलिसकर्मी वेंकटेश्वरलु से कुछ सवाल पूछने की कोशिश करता हैं।
'कटेश्वरलु सुन या बोल नहीं सकते'
हालांकि, वेंकटेश्वरलु इशारों में से कहते हैं कि वह सुन या बोल नहीं सकते। इसी वीडियो ने लापता शख्स को उसके परिवार के साथ फिर से जुड़ने में मदद की। पुलिस ने शुरू में लॉकडाउन खत्म होने तक परिवार को इंतजार करने के लिए कहा, लेकिन पेद्दिराजू की संवेदनशीलता को समझते हुए पिता को घर लाने के लिए यात्रा करने की अनुमति दे दी। वेंकटेश्वरलु अपने गांव अब सुरक्षित लौट आए हैं। पेद्दिराजू ने कहा, 'यह पहली बार है जब हमारे पिता इतने समय तक हमसे दूर रहे। वह पिछले दो वर्षों से केवल रोटियों पर ही जिंदा थे, जिसका वह आदी नहीं हैं। सबसे पहली चीज हम यह करेंगे की उन्हें घर का बना गरम चावल खिलाएंगे।'