- आंखों से देख नहीं पातीं केरल की हना एलिस साइमन
- 12वींं में 500 में से 496 नंबर लाकर कर दिया हैरान
- सफलता की कहानी पढ़कर करेंगे सलाम
Success Story of Hannah Alice Simon: कहते हैं कि अगर इंसान चाह ले तो वह अपने सामने आने वाली सारी बाधाओं को पार कर सकता है। फिर चाहे उसके हाथ-पैर और आंखें हों या ना हों। केरल की 19 साल की लड़की ने यह साबित कर सबको हैरान कर दिया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कोच्चि की रहने वाली छात्रा हना एलिस साइमन (Hannah Alice Simon) ने कक्षा 12 की CBSE बोर्ड परीक्षा में 500 में से 496 अंक हासिल किया है।
500 में से 496 अंक
हना ने विकलांग वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल किया है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि हना ने 500 में से सिर्फ 4 अंक कम यानि 496 अंक हासिल किया है। बता दें कि अंडरलाइंग कंडीशन 'माइक्रोफथाल्मिया' (Microphthalmia) होने की वजह से उन्होंने अपनी आंखें गंवा दी थी। इसके बाद भी हना ने हार नहीं मानी। हना ने जिंदगी में जो कुछ किया, सबकुछ दिल लगाकर पूरी लगन और मेहनत से किया। हना एक मोटिवेशनल स्पीकर, सिंगर तथा Youtuber भी हैं।
19 साल की हना कोच्चि में जन्मी हैं। वह कक्कनड के राजगिरी क्रिस्टू जयंती पब्लिक स्कूल में अपनी पढ़ाई कर रही थीं। उन्होंने 'वेलकम होम' नाम की एक पुस्तक भी लिखी है। इसमें युवा लड़कियों की लघु कथाएं हैं। हना ने बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें विकलांग छात्रों के स्कूल में भेजने की बजाय एक सामान्य स्कूल में प्रवेश दिलाया। जिससे कि कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े। हना ने बताया कि देख न पाने की वजह से उन्हें स्कूल में बुली भी किया जाता था, लेकिन वह इन सब बातों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ीं। उन्हें अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना था।
माता-पिता ने दिया आत्मविश्वास
हना ने बताया कि उन्हें धमकी दी गई और जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं, उन्हें कई चीजों से दूर किया जाने लगा। इसके बाद भी उन्हें जीवन में आगे बढ़ना था। उन्हें पता था कि जैसे-जैसे वह जीवन में आगे बढ़ेंगी, उन्हें ऐसी चुनौतियों का सामना करना ही पड़ेगा। बचपन से इन चीजों का सामना करते-करते वह काफी मजबूत हो गई हैं। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने पढ़ाई को लेकर उनके साथ अलग व्यवहार नहीं किया। उनके माता-पिता के लिए वह दिव्यांग नहीं हैं। तीन भाई-बहनों में मैं अकेली दिव्यांग हूं, लेकिन माता-पिता ने कभी नहीं कहा कि मैं अलग हूं। उन्होंने हमेशा कहा कि वह अन्य बच्चों की ही तरह हैं। वह हर कुछ कर सकती है, जो दूसरे बच्चे करते हैं।
हना ने बताया, 'जब मैं अपने दोस्तों को दौड़ने के बारे में सुनती थी, तो मैं भी दौड़ना चाहती थी। इसके बाद मेरे माता-पिता मुझे स्कूल के मैदान में ले जाते थे और मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ दौड़ते थे।' हना ने बताया कि उनके पिता ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया और उनका दृष्टिकोण उनकी मां की वजह से आया।