- 7वीं कक्षा के इस बालक ने तैयार की एयर पॉल्यूशन कंट्रोल करने वाली ऐसी मशीन
- गाड़ियों से होने वाले पॉल्यूशन पर करीब से नजर रखेगा ये डिवाइस
- अलर्ट मैसेज सीधे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेजा जाएगा
- 2,000 रुपए की इस डिवाइस का बच्चे ने कराया पेटेंट सर्टिफिकेशन
नई दिल्ली : भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई राज्य एयर पॉल्यूशन के दोहरे मार से जूझ रहे हैं ऐसे में 7वीं कक्षा के एक छात्र ने एक मशीन का ईजाद की है जो किसी भी वाहन के पीपीएम (Parts Per Million) काउंट को माप कर अलर्ट कर सकता है। अविज्ञान किशोर नाम का ये बालक 12 साल का है जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के हुगली कोलेजियेट स्कूल का छात्रा है।
इस मशीन को कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि यह पहले एसएमएस के जरिए गाड़ी के मालिक को अलर्ट मैसेज भेजेगा और उससे अपनी गाड़ी का इंजन टेक करने के लिए कहेगा। इसके लिए उसे 7 दिनों का समय दिया जाएगा। अगर अगले 7 दिनों तक वह व्यक्ति अगर पीपीएम ब्रीच की इस समस्या को ठीक नहीं करेगा तो मशीन आठवें दिन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को इस बारे में एसएमएस अलर्ट के जरिए सूचित कर देगा।
अब एक बार फिर से मशीन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को उस व्यक्ति को अलर्ट करने के लिए 7 दिन का समय देगा। अगर दूसरी बार भी गाड़ी का मालिक दिए गए समय अवधि में अपनी गाड़ी की पीपीएम की समस्या को ठीक नहीं करता है तो मशीन फिर से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को मैसेज करेगा और ओनर को फाइन भरने के साथ-साथ अपनी समस्या को दूर करने के लिए आखिरी 7 दिन का समय देगा।
अगर इस बार व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है तो मशीन ऑटोमैटिक तरीके से गाड़ी के इंजन से ईंधन की पाइप को डिस्कनेक्ट कर देगा और इंजन को बंद कर देगा। बताया जाता है कि ये जो डिवाइस है इसे गाड़ी में ही फिक्स किया जाने वाला है, इसका मतलब है कि अगर सरकार ने अनुमति दे दी तो गाड़ी निर्माताओं को इस डिवाइस को गाड़ियों के मैनुफैक्चर के समय ही में फिक्स करने का आदेश दिया जाएगा।
इस डिवाइस की कुल कीमत 2,000 रुपए बताई जाती है। अविज्ञान को यकीन है कि उसका ये आविष्कार जरूर बड़ा बदलाव लेकर आएगा। उसने डिवाइस में MQ5 प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया है जो सेंसर्स से इनपुट प्राप्त करता है। MQ5 इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि ये रियल-टाइम पीपीएम काउंट बताता है।
इसमें साथ में ही एक सिम लगा होता है जो कम्युनिकेट भी कर सकता है। उसने ये सारी चीजें टाइम्स नेटवर्क के साथ अपने इंटरव्यू में बताई। छात्र ने अपने आविष्कार को पेटेंट सर्टिफिकेशन के लिए भेज दिया है। उसे साइंस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के जरिए इस आविष्कार के लिए सम्मानित भी किया गया है।