- मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विर्सजन के दौरान फायरिंग व लाठीचार्ज को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है
- इसे लेकर मुंगेर की एसपी लिपि सिंह लोगों के निशाने पर हैं, जिन्हें वे 'जनरल डायर' तक कह रहे हैं
- विपक्ष इस मुद्दे को लेकर नीतीश सरकार को घेर रहा है, लिपि के पिता के जेडीयू से गहरे संबंध हैं
मुंगेर : बिहार के मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई फायरिंग और भीड़ पर लाठीचार्ज के बाद प्रशासन निशाने पर आ गया है। दीनदयाल उपाध्याय चौक के पास सोमवार देर रात दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई गोलीबारी और पथराव की घटना में एक व्यक्ति की जान चली गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। बाद में इस घटना का वीडियो भी सामने आया, जिसमें पुलिसकर्मियों को भीड़ पर लाठीचार्ज करते देखा जा रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर ही नहीं, राज्य की राजनीति में भी भूचाल आया हुआ है और किसी के निशाने पर हैं एसपी लिपि सिंह।
कभी मुंगेर की 'लेडी सिंघम' के नाम से चर्चित एसपी लिपि सिंह को सोशल मीडिया पर कोई 'जनरल डायर' कह रहा तो कोई उनके निलंबन व बर्खास्तगी की मांग कर रहा है। मुंगेर की घटना को लेकर बिहार में सियासत भी तेज हो गई है और विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगा रहा है कि आखिर पुलिस को लोगों के साथ इस तरह से पेश आने की अनुमति किसने दी? लिपि सिंह के पिता का नीतीश की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) से करीबी नाता रहा है और यह भी एक बड़ी वजह है कि इस घटना को लेकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।
नीतीश के करीबी हैं लिपि सिंह के पिता
लिपि सिंह 2016 बैच की आईपीएस अफसर हैं। वह बिहार की ही रहने वाली हैं और उनका जन्म नालंदा जिले में हुआ। उनके पिता आरसीपी सिंह जेडीयू से राज्यसभा सांसद हैं और उन्हें नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। आरसीपी सिंह खुद भी राजनीति में आने से पहले आईएएस अधिकारी रह चुके हैं और उन्हीं के नक्शेकदम पर बढ़ते हुए बेटी ने भी सिविल सर्विसेज को करियर के तौर पर चुना। लिपि के पति सुहर्ष भगत भी आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल बांका में जिलाधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं।
लिपि सिंह 2019 में उस वक्त सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने मोकामा के बाहुबली सांसद अनंत सिंह के घर छापा मारा था। अनंत सिंह को बाद में जेल हुई थी। लिपि सिंह पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि आम तौर पर ऐसे अधिकारियों को चुनावी प्रक्रिया से हटा दिया जाता है, जो किसी भी राजनीतिक दल के नेता के करीबी रिश्तेदार होते हैं। लेकिन आरसीपी सिंह की बेटी होने के बाद भी उन्हें चुनावी प्रक्रिया से अलग नहीं किया गया, जिसकी वजह से भी विपक्ष उन्हें लेकर सवाल उठा रहा है।