नई दिल्ली: 1 अप्रैल वैसै तो आम दिनों की तरह एक तारीख ही है लेकिन ये दिन कुछ खास है क्योंकि इस दिन लोग मजाक में एक दूसरे को मूर्ख बनाते हैं और इसके लिए वो झूठ या किसी शरारत का सहारा लेते हैं ताकि दूसरा शख्स बेवकूफ बन जाए। ऐसा करने के लिए लोग कई तरीके से प्लॉन आदि बनाते हैं और कई तरीके भी आजमाते हैं।
अप्रैल फूल डे हर साल पहली अप्रैल को मनाया जाता है। कभी-कभी ऑल फूल्स डे के रूप में जाना जाने वाला यह दिन, 1 अप्रैल एक आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं।
इस दिन दोस्तों, परिजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की शरारतपूर्ण हरकतें और अन्य व्यावहारिक मजाक किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना।
भारतीयों का इसके पीछे अपना तर्क है
भारतीयों का मानना है कि अप्रैल फूल अंग्रेजों ने भारत के लोगों को मूर्ख बताने के लिए किया था क्योंकि अप्रैल 1 तारीख को भारत के लोग नया साल मनाते हैं जो कि विक्रमी संवत के हिसाब से होता है अंग्रेजों ने भारतीय लोगों को मूर्ख कहने के लिए इस दिन की शुरुआत की थी इसलिए उन्होंने अप्रैल फूल की शुरुआत की।
कहा ये भी जाता है कि इसकी शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस टाइम की गई जब पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया कहते हैं कि इस दौरान कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन्हें ही 'अप्रैल फूल्स' कहा गया।
विदेशों में इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं
पारंपरिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं और अगर कोई दोपहर के बाद किसी तरह की कोशिश करता है तो उसे 'अप्रैल फूल' कहा जाता है।
ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं।इसके अलावा फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है।
1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है। कई लेखक यह बताते हैं कि 16वीं सदी में एक जनवरी को न्यू ईयर्स डे के रूप में मनाये जाने का चलन एक छुट्टी का दिन निकालने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन यह सिद्धांत पुराने संदर्भों का उल्लेख नहीं करता है।