संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सूडान में, 25 अक्टूबर 2021 को सैनिक तख़्तापलट के बाद से, प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध लगातार जारी हिंसा की निन्दा की है। यूएन प्रमुख ने सोमवार को जारी एक वक्तव्य में, सूडान के सुरक्षा बलों से, सभाएँ करने और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकारों के सम्बन्ध में, अधिकतम संयम बरतने और अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने का आहवान किया है।
एंतोनियो गुटेरेश ने प्रधानमंत्री अब्दल्ला हम्दोक के इस्तीफ़े का भी संज्ञान लिया। मीडिया ख़बरों के अनुसार, अब्दल्ला हम्दोक ने राजधानी ख़ारतूम में, देश को हिला देने वाले, एक और दिन के व्यापक प्रदर्शनों के बाद इस्तीफ़ा दे दिया था।
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री अब्दल्ला हम्दोक और अनेक वरिष्ठ अधिकारियों को 25 अक्टूबर 2021 को देश की सत्ता पर सैन्य नियंत्रण के दौरान हिरासत में ले लिया गया था। लेकिन बाद में सेना के साथ सत्ता बँटवारे पर हुए एक समझौते के बाद प्रधानमंत्री को बहाल कर दिया गया था।
दीर्घकालीन समाधान
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि उन्हें खेद है कि स्थिति की गम्भीरता के बावजूद, आगे बढ़ने के रास्ते पर एक राजनैतिक समझ विकसित होती नज़र नहीं आ रही है। यूएन महासचिव ने तमाम सम्बद्ध पक्षों को, एक समावेशी, शान्तिपूर्ण और दीर्घकालीन टिकाऊ समाधान की तलाश करने के लिये, सार्थक बातचीत में शामिल होते रहने के लिये प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा, 'एक लोकतांत्रिक राह की तरफ़ बढ़ने वाले बदलाव की, सूडानी आकांक्षाएँ अति महत्वपूर्ण हैं। संयुक्त राष्ट्र इन प्रयासों को सहारा व समर्थन देने के लिये तत्पर है।' सूडान के लिये यूएन महासचिव के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर परथेस ने भी प्रधानमंत्री के इस्तीफ़ा देने के फ़ैसले का संज्ञान लिया है। विशेष प्रतिनिधि ने एक वक्तव्य में कहा कि वो प्रधानमंत्री के इस निर्णय का सम्मान करते हैं और उनके नेतृत्व में हासिल की गई उपलब्धियों की सराहना करते हैं।
प्रगति को ख़तरा
विशेष प्रतिनिधि, अलबत्ता, 25 अक्टूबर 2021 को हुए सैनिक तख़्तापलट के बाद लगातार जारी राजनैतिक संकट को लेकर चिन्तित भी हैं, जिसने दिसम्बर की क्रान्ति के बाद हुई प्रगति को पटरी से उतारने का जोखिम उत्पन्न कर दिया है।
वोल्कर परथेस ने प्रदर्शनों के दौरान हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की है। उन्होंने भी सुरक्षा बलों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने और प्रदर्शनकारियों के अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण सभाएँ करने के अधिकारों का सम्मान किये जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'हिंसा को अंजाम देने वाले तत्वों को न्याय के कटघरे में अवश्य लाना होगा।'
उनके अनुसार, एक लोकतांत्रिक मार्ग के लिये, सूडानी लोगों की आकांक्षाओं और शान्ति प्रक्रिया को पूरा किया जाना, मौजूदा संकट को हल करने के तमाम प्रयासों की बुनियाद होनी चाहिये।