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वाह! वाराणसी में पहली बार मछलियों को मिलेगी पहचान, बनेंगे आधार कार्ड

Updated May 10, 2022 | 19:36 IST

उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है, ​जहां इंसानों के साथ ही मछलियों को भी आधार कार्ड मिलेगा। आधार कार्ड से पता चल सकेगा कि मछली किस नदी से है, गंगा नदी से, यमुना से या फिर किसी तालाब से।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
अब वाराणसी में बनेगा मछलियों का आधार कार्ड (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • नदियों को साफ करने के लिए अनोखी पहल
  • मछलियों की जानकारी के अनुसार तैयार किया जाएगा खाका
  • लखनऊ के अनुसंधान केंद्र में रखा रिकॉर्ड

Varanasi Fishes Aadhar Card: भारत में हर शख्स का आधार कार्ड होना जरूरी है, लेकिन उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है, ​जहां इंसानों के साथ ही मछलियों को भी आधार कार्ड मिलेगा। जी हां, उत्तर प्रदेश सरकार ने नदियों को साफ करने और उनकी पहले जैसी शान लौटाने के लिए अनोखा तरीका निकाला है। यूपी सरकार अब मछलियों को पहचान देने की तैयारी में है और ये पहचान उन्हें मिलेगी आधार कार्ड के माध्यम से। वाराणसी में अब मछलियों के आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। आधार कार्ड से पता चल सकेगा कि मछली किस नदी से है, गंगा नदी से, यमुना से या फिर किसी तालाब से।

मछलियों की प्रजातियों के अनुसार, नदियों को साफ करने का काम किया जाएगा। प्रदेश के मत्स्य व पशुपालन मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बताया कि प्रदेश की मछलियों का आधार कार्ड लखनऊ के अनुसंधान केंद्र में रखा जा रहा है। इससे मछलियों को पहचानने में आसानी होगी। इसी के आधार पर नदियों को साफ करने का खाका तैयार किया जाएगा। पहले चरण में गंगा नदी में मछली के बीज डाले जाएंगे, जिससे नदी का प्रदूषण दूर होगा। आपको बता दें कि पिछले दिनों ही अस्सी घाट पर पचास हजार मछलियों के बीज गंगा में डाले गए हैं।  

इसलिए जरूरी है कदम

आपको बता दें बीते दो माह से गंगा नदी से मछलियां पकड़ने पर प्रतिबंध है। सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ठ निर्देश दिए हैं कि वे इस बात का पूरा ध्यान रखें कि गंगा नदी से कहीं पर भी मछली नहीं पकड़ी जाए। सरकार का मानना है कि गंगा नदी को पहले सा प्रवाहित और स्वच्छ बनाने के लिए इसमें म​छलियों का होना जरूरी है। ऐसे में न सिर्फ नदी साफ होगी, बल्कि गंगा मैया पहले जैसा निर्मल जीवन लेकर प्रवाहित होंगी।  

मछुआरा समाज के लिए योजना 

सरकार के अनुसार, मछुआरा समाज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभार्थियों को एक साल के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही मत्स्य विभाग ने इस समाज के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।

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