- वित्तीय अनियमितता के दोषियों की पेंशन, ग्रेच्युटी रोकी जाएगी, अन्य भत्ते भी बंद किए जाएंगे
- सभी दोषियों के खिलाफ दर्ज कराया जाएगा मुकदमा
- 49 करोड़ रुपए से 5.2 किलोमीटर लंबाई में बिछाई गई थी पाइपलाइन
Varanasi News: वाराणसी जल निगम के इंजीनियरों ने बड़ी वित्तीय अनियमितता को अंजाम दिया है। इसका पर्दाफाश होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। बड़ी गैबी से सिगरा के बीच सीवर लाइन बिछाने के कार्य में पैसों का बड़ा खेल किया गया है। इसमें जल निगम के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एवं परियोजना के तत्कालीन जीएम संजय कुमार सिंह, रिटायर्ड एसई एसके राय और एई बागेश्वर प्रसाद मौर्य को दोषी पाया गया है।
इन तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जानी है। अधिकारियों ने तय किया है कि इन तीनों की पेंशन, ग्रेच्युटी रोकी जाएगी। इसके अतिरिक्त अन्य भत्ते पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी जाएगी। तीनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
दो चरणों में बिछाई गई थी पाइपलाइन
वित्तीय वर्ष 2012-14 और 2017-18 में सिस वरुणा क्षेत्र में दो चरणों में रिहैबिलिटेशन ऑफ सीवर इन वाराणसी सिटी प्रोजेक्ट के तहत 49 करोड़ रुपए से 5.2 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जानी थी। इसके पहले चरण में बड़ी गैबी वीडीए कॉलोनी से महमूरगंज तक 39 करोड़ रुपए से 3.2 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जानी थी। दूसरे चरण में अमृत योजना से 10 करोड़ रुपए से एक किलोमीटर पाइपलाइन सिगरा महमूरगंज मार्ग पर बिछाई जानी थी। उस समय लोगों ने इस कार्य का विरोध किया था। उनका कहना था कि, पाइपलाइन बिछाने में न तो ढलान का ख्याल रखा गया और न पाइपों के जॉइंट सही है।
लोगों के विरोध के बावजूद गुणवत्ता पर नहीं दिया ध्यान
पाइपलाइन बिछाए जाने के कार्य का लोग लगातार विरोध कर रहे थे। इसके बाद भी जल निगम के अधिकारियों ने काम की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया था। लोगों ने विधायक सौरभ श्रीवास्तव से भी शिकायत की थी। इस पर शासन स्तर से उक्त काम की जांच में गड़बड़ियां सही पाई गईं थीं। उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अब जल निगम ने दोषी इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।