- बीएचयू की सेंट्रल लाइब्रेरी में ई-लाइब्रेरी पोर्टल की शुरूआत हुई।
- पोर्टल पर पाठ्यपुस्तक सामग्री के डाउनलोड और रीडिंग के पुराने रिकार्ड टूट गए।
- बीएचयू की सेंट्रल लाइब्रेरी पर उपलब्ध संग्रह को आसानी से पढ़ा और डाउनलोड किया जा सकता है।
Varanasi E-Library: आकाशवाणी वाराणसी के द्वारा बीएचयू में आज भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के व्यक्तित्व, कृतित्त्व, और राष्ट्र के लिए उनका योगदान विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उप-महानिदेशक सह केंद्राध्यक्ष आरबी सिंह ने कहा कि, बाबा साहब के उपकारों को हम कभी नही भुला सकते हैं, क्योंकि उन्होंने समाज के वंचित लोगो को मुख्य धारा में लाने का अदभुत कार्य किया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के समन्वयक प्रो. आशा राम त्रिपाठी ने कहा कि, डॉ. आंबेडकर ने मूल्यपरक शिक्षा की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि, विद्या, विनय, शील और अनुशासन छात्रों को आत्मसात करना चाहिए। बीएचयू के डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. संजीव सराफ ने कहा कि, उनकी लाइब्रेरी में 50,000 किताबें थी, जिसमें से 35,000 किताबें का उन्होंने अध्ययन कर हाशिये पर आए समाज के ऊपर टिप्पणी की।
बीएचयू ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ
बीएचयू की सेंट्रल लाइब्रेरी में आज ई-लाइब्रेरी पोर्टल की शुरूआत हुई। अब इसके बाद बीएचयू की सभी उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक रिसोर्सेज को सर्च और डाउनलोड करना काफी सुविधाजनक बना दिया गया है। आज पोर्टल पर सभी पाठ्यपुस्तक सामग्री के डाउनलोड और रीडिंग के सभी पुराने रिकार्ड टूट गए। करीब डेढ़ महीने में 26,700 रीडर्स ने इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। इस पोर्टल के द्वारा किसी भी समय कहीं से भी BHU की सेंट्रल लाइब्रेरी पर उपलब्ध संग्रह को आसानी से पढ़ा और डाउनलोड किया जा सकता है। इस ई-लाइब्रेरी पोर्टल पर 80 हजार किताबें, 16 हजार पत्रिकाओं, सवा लाख वीडियो लेक्चर और आठ लाख थीसिस उपलब्ध हैं।
BHU को जैन आर्ट एंड एस्थेटिक्स पुस्तक भेंट
बीएचयू के कुलपति आवास पर नेशनल टैगोर फेलो पूर्व प्रोफेसर एमिरेट्स प्रो. मारुति नंदन तिवारी और दृश्य कला संकाय में कला इतिहास के प्राध्यापक डॉ. शांति स्वरूप सिन्हा ने "जैन आर्ट एंड एस्थेटिक्स" पुस्तक भेंट की। उन्होंने BHU के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन को यह पुस्तक देते हुए कहा कि, इसमें जैन कला और संस्कृति का विस्तृत विवेचन भारतीय कला और संस्कृति के समावेशी स्वरुप की पृष्ठभूमि में किया गया है। साथ ही संपूर्ण भारतीय संस्कृति और कला में होने वाले आदान-प्रदान की प्रक्रिया को भी बताया गया है। इस पुस्तक को प्रतिष्ठित हेमचंद्राचार्य पुरस्कार भी मिल चुका है।
सिखाई केंचुआ खाद बनाने की तकनीक
बीएचयू के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा एक दिवसीय शिविर करके औषधीय पौधों के रोपण के विविध तरीकों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र ने बताया कि, स्वयंसेवकों ने इसके लिए बीएचयू में जमीन भी तैयार किया। वहीं केंचुआ खाद बनाने की तकनीक भी सिखाई गई। आईआरडीपी के प्रोफेसर आलोक कुमार पांडेय ने स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया। वहीं इस मौके पर बीएचयू के कई वरिष्ठ प्रोफेसर भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर आर पी पाठक ने कहा कि, वर्तमान में विश्व पर्यावरण और स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में औषधीय पौधों के छिपे गुणों को बाहर लाना होगा।