- विदेशों में प्रदर्शनी लगाई जाएगी वाराणसी के खादी उत्पादों की प्रदर्शनी
- जीआई उत्पादों के साथ ही पश्मीना शॉल, बनारसी साड़ी को किया जाएगा शामिल
- कारीगरों को हुनर दिखाने का मिलेगा एक नया मंच
Banarasi Saree: काशी में तैयार होने वाले खादी उत्पादों की विदेशों में प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है, प्रदर्शनी की तारीख तय करने के लिए खादी ग्रामोद्योग के निदेशक दिल्ली गए हैं। उत्पादों की प्रदर्शनी लगने से विश्व फलक पर यहां के कारीगरों को एक पहचान मिलेगी। प्रदर्शनी अगस्त, अक्टूबर, नवंबर में कनाडा, जर्मनी व अर्जेंटीना में लगने की उम्मीद है। काशी में तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी के लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग कारीगरों को कनाडा, जर्मनी, अर्जेंटीना ले जाने की तैयारी में हैं। यहां जाने से कारीगरों को हुनर दिखाने का एक नया मंच मिलेगा। उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। उत्पादों की मांग बढ़ने से रोजगार का अवसर भी मिलेगा।
वैसे तो बनारसी साड़ी की विदेशों में भी खूब मांग रहती है। लेकिन प्रदर्शनी में साड़ी खरीदने वालों को इसकी खासियत का भी पता चलेगा। वहीं काशी में बनी पशमीना शॉल को भी विश्व स्तर पर पहचान मिलेगी। इसके अलावा बनारस के जीआई उत्पादों की भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
इनकी लगेगी प्रदर्शनी
विदेशों में लगने वाली प्रदर्शनी में टेक्सटाइल वस्तुओं को प्रमुखता से शामिल किया गया है। जिसमें पश्मीना शॉल, बनारसी साड़ी, खादी रेडिमेड कपड़े, खादी सिल्क, कॉटन, इंडो वेस्टर्न कपड़ों की प्रदर्शनी लगेगी। खादी ग्रामोद्योग के निदेशक डीएस भाटी ने कहा कि, विश्व स्तर पर काशी के कारीगरों को पहचान दिलाने के लिए उनके द्वारा बनाए उत्पादों को विदेशों में प्रदर्शनी में लगाने का मौका मिलेगा। इसके लिए तिथि निर्धारित की जा रही है। कृषक विकास ग्रामोद्योग संस्थान के सेक्रेटरी संदीप सिंह ने कहा कि, विश्व प्रदर्शनी में उत्पादों की प्रदर्शनी के बाद काशी में बने उत्पादों की मांग बढ़ेगी। इससे कारोबार बढ़ेगा और ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
एक किलो में मिलता है 200 ग्राम पश्मीना
आपको बता दें कि, पश्मीना शॉल तैयार करने में एक किलो पश्मीना धागे का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 800 ग्राम धागा खराब हो जाता है, मात्र 200 ग्राम ही सही पश्मीना मिलता है। अब इसी वेस्ट प्रोडक्ट से कंबल और दरी बनाई जाएंगी। खादी ग्रामोद्योग आयोग निदेशक डीएस भाटी ने बताया कि, पश्मीना के बचे धागे से कंबल व दरी तैयार किया जाएगा। इससे जहां एक ओर वेस्ट मैटेरियल का प्रयोग होगा। वहीं दूसरी ओर बुनकरों का रोजगार भी बढ़ेगा।