- यात्रा के पथ में पड़ने वाले मंदिरों, धर्मशालओं का होगा सौंदरीकरण
- 2023 के अंत तक काम पूरा करने का लक्ष्य
- अलग-अलग पड़ाव के लिए धनराशि की स्वीकृति
Panchkroshi Path: पंचक्रोशी पथ काशी में एक विशेष स्थान रखता है। काशी में पंचक्रोशी यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। पांच पड़ाव की पंचक्रोशी यात्रा का पौराणिक महत्व भी है। इस यात्रा मार्ग और बीच में पड़ने वाले प्राचीन मंदिरों, धर्मशालाओं और कुंडों के जीर्णोद्धार और सौंदरीकरण पर 40 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
सौंदरीकरण के कार्य के लिए शासन ने मंजूरी दे दी है। इस माह के अंत तक कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल टेंडर जारी करेगी।
यूपीपीसीएल है इस प्रोजेक्ट की कार्यदाई संस्था
प्रोजेक्ट को 2023 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। वैसे प्रोजेक्ट की कार्यदाई संस्था के रूप में वीडीए और यूपीपीसीएल के बीच कई दिनों तक भ्रम की स्थिति रही। लेकिन अप्रैल के पहले सप्ताह में सूबे के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने यूपीपीसीएल को ही कार्यदाई संस्था रखने का निर्देश दिया। पंचक्रोशी परिक्रमा के पहले पड़ाव कंदवा के लिए सात करोड़ 22 लाख रुपये, दूसरे पड़ाव भीमचंडी के लिए आठ करोड़ 58 लाख रुपये, रामेश्वर के तीसरे पड़ाव के लिए 8 करोड़ 57 लाख रुपये, चौथे पड़ाव शिवपुर के लिए 8 करोड़ 45 लाख और पांचवें व अंतिम पड़ाव कपिलधारा के लिए 6 करोड़ 38 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
जल्द जारी होगा टेंडर
पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि, पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग और इसके बीच पड़ने वाले प्राचीन मंदिरों, धर्मशालाओं और कुंडों के जीर्णोद्धार और सौंदरीकरण का काम शुरू किया जाएगा। प्रोजेक्ट का टेंडर जल्द जारी किया जाएगा।
अंतरगृही परिक्रमा पथ के लिए भी धनराशि स्वीकृति
अंतरगृही परिक्रमा पथ के ओंकारेश्वर खंड के लिए 1.28 करोड़ रुपये, विश्वेश्वर खंड के लिए 1.16 करोड़ रुपये, केदारेश्वर खंड के लिए 1.52 करोड़ रुपये और चिरईगांव ब्लॉक के रमैला गांव में डीह बाबा मंदिर के जीर्णोद्धार और सौंदरीकरण पर भी 19 लाख रुपए खर्च होंगे।
एक दिन से लेकर पांच दिन में यात्रा पूरी करते हैं श्रद्धालु
काशी की पंचक्रोशी यात्रा 25 कोस यानी 84 किलोमीटर की होती है। इसे श्रद्धालु अपने सामर्थ्य और संकल्प के अनुसार पूरी करते हैं। कुछ तीन तो कुछ पांच दिन में यात्रा पूरी करते हैं। कई लोग तो एक ही दिन में यह दूरी नाप देते हैं। शिवरात्रि पर मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर एक ही दिन में यात्रा पूरी करने वाले एक-दो नहीं बल्कि हजारों में श्रद्धालु होते हैं।
धर्मशालाओं को दुरुस्त करना चुनौती
पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के पांचों पड़ावों पर स्थित कई धर्मशालाओं ने कब्जा कर रखा है। पूर्व में भी इसे दुरुस्त करने का प्रयास किया गया लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली। बताते हैं कि, कई धर्मशालाओं में तो पशु बांधे जाते हैं तो उनकी दीवारें उपलों (गोहरी) की पथाई से गंदी हो गई हैं। इन्हें दुरुस्त करना कार्यदाई संस्था की असल परीक्षा होगी।
अभाव ग्रस्त हैं धर्मशालाएं
पांच दिनों में यह यात्रा पूरी करने वाले श्रद्धालु हर पड़ाव पर एक रात विश्राम करते हैं। हर पड़ाव पर स्थित शिवालयों में दर्शन-पूजन के बाद भोजन पकाया जाता है। दूसरे दिन सुबह फिर यात्रा प्रारंभ होती है। लेकिन यात्रियों के लिए यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कहीं पेयजल के लिए यात्रियों को भटकना पड़ता है तो, कहीं बिजली संकट से दो-चार होना पड़ता है। वर्षों पुरानी धर्मशालाएं जीर्ण-शीर्ण हो गई हैं। साफ-सफाई का अभाव भी रहता है।