वाराणसी: प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पित होने वाले श्री काशी विश्वनाथ धाम (Shri Kashi Vishwanath Dham) के पहले चरण का काम शुक्रवार को पूरा हो गया बताते हैं कि धाम से मशीनें बाहर निकाल दी गईं, मंदिर प्रशासन धाम को 12 दिसंबर को हैंडओवर कर लेगा। 13 दिसंबर को पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण अलौकिक, अद्भुत और अकल्पनीय होगा।
श्री काशी विश्वनाथ धाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आध्यात्मिक व धार्मिक रूप से और समृद्ध बना दिया है। अब धाम के मंदिर परिसर में आने पर श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ (Vishwanath Baba) के दर्शन के साथ उनकी महिमा भी जान पाएंगे, धर्म शास्त्रों व पौराणिक ग्रंथों में वर्णित पवित्र स्थल काशी में मौजूद हैं। उपनिषद, वेदों और पुराणों के आधार पर मिली जानकारी का चित्रात्मक वर्णन, श्लोक संख्या, हिंदी में अनुवाद समेत समस्त जानकारियां विश्वनाथ धाम में मार्बल पर उकेरी गई हैं।
दुनिया के प्राचीनतम और जीवंत शहर काशी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक राजधानी मानी जाती है। इसके पुख़्ता प्रमाण हैं, जो उपनिषद, वेदों और पुराणों में मिलते हैं। इन प्रमाणों के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम में शिव महिमा का सचित्र वर्णन मार्बल पर उकेरा गया है।
भगवान शंकर को काशी क्यों प्रिय है?
धर्म शास्त्रों व पौराणिक ग्रंथों में वर्णित सभी पवित्र स्थल काशी में भी मौज़ूद हैं, इसका प्रमाण के साथ उल्लेख किया गया है। भगवान शंकर को काशी क्यों प्रिय है और काशी को लघु भारत क्यों कहा जाता है, ये सभी जानकारियां इस मार्बल के चित्रात्मक पैनल पर उपलब्ध हैं। काशी विद्वत परिषद ने इस जानकारी को सम्पादित किया है। ऐसे करीब 25 चित्रात्मक पैनल मंदिर परिसर के गलियारे में लगाए गए हैं।
सभी जानकारियां चित्र, संस्कृत के श्लोक, हिंदी में अनुवाद के साथ उकेरी गई हैं
उन्होंने बताया कि काशी में ही वेद व्यास द्वारा चारों वेदों का प्रथम उपदेश, काशी में 56 विनायक, काशी में मोक्ष प्रदान करने वाली सातों नगरी, काशी में पांच तीर्थ, भगवान शिव के आदेश पर आए अष्ट भैरव की स्थापना, भगवान शंकर का 64 योगिनियों का काशी में भेजना, काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी, भोलेनाथ द्वारा अष्ट मातृकाओं की स्थापना और महाकवि कालिदास द्वारा शिव स्तुति आदि का वर्णन किया गया है, ये सभी जानकारियां चित्र, संस्कृत के श्लोक, हिंदी में अनुवाद के साथ उकेरी गई हैं। इसके अलावा किस ग्रन्थ, उपनिषद, वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख है, श्लोक संख्या समेत वर्णित किया गया है।