- पर्यटकों के लिए विशेष सफर की तैयारी की जा रही है
- जीवनधारा गंगा अब तीर्थ स्थलों का भ्रमण कराएगी
- जल मार्ग से वाराणसी -मीरजापुर- प्रयागराज दर्शन कराने की योजना है
Varanasi News: उत्तर प्रदेश के गंगा में अब पर्यटकों के लिए विशेष सफर की तैयारी की जा रही है। काशी से प्रयाग और विंध्यधाम के अलावा चुनार किले का गंगा में जलमार्ग से पर्यटकों के लिए दो दिनों का रोचक सफर होगा. इस दौरान पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी। काशी में सनातन धर्मावलंबियों की जीवनधारा गंगा अब तीर्थ स्थलों का भ्रमण कराएगी।
काशी से विंध्यवासिनी धाम और प्रयागराज तक ले जाएगी। पर्यटन विभाग ने इसका खाका खींचा है। इसमें जल मार्ग से वाराणसी -मीरजापुर- प्रयागराज दर्शन कराने की योजना है। पहले चरण में रो पैक्स (जलयान) से ट्रायल टूर मीरजापुर तक होगा।
इसमें एक साथ दो सौ लोग मीरजापुर तक जा पाएंगे और वहां मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व मां काली का दर्शन कराया जाएगा। साथ ही विंध्य पर्वत श्रृंखला की भी सैर कराई जाएगी। इस टूर की सफलता का आकलन करने के बाद दूसरे चरण में इसे दो दिनी करते हुए प्रयागराज तक विस्तार दिया जाएगा। वहां संगम स्नान, लेटे हनुमान का दर्शन के बाद वापसी होगी।
स्टार्ट अप कंपनी को दी गई इसकी जिम्मेदारी
काशी में क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव के अनुसार इस खास आध्यात्मिक टूर के लिए पर्यटन विभाग व भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आइडब्ल्यूएआइ) के बीच सहमति बन गई है। अगले माह प्रस्तावित बैठक में इसका पूरा शेड्यूल तैयार कर लांच कर दिया जाएगा। जलमार्ग के आध्यात्मिक दर्शन यात्रा के लिए पर्यटन विभाग के पास दो-दो सौ क्षमता के दो रो पैक्स तो एक जलयान (क्रूज) है। इन्हें संचालन की जिम्मेदारी स्टार्ट अप कंपनी अलकनंदा को दी गई है। फिलहाल इस तरह के बड़े वेसेल के ठहरने के लिए मीरजापुर में दो घाट भी तैयार किए जा रहे हैैं। उन पर जेटी आदि की व्यवस्था की जाएगी।
कोरोना की वजह से शुरू नहीं हो पाई थी योजना
इससे पहले अलकनंदा की ओर से वाराणसी-चुनार टूर का ट्रायल किया जा चुका है जो सफल रहा है। हालांकि, कोरोना की तीसरी लहर के कारण यह नियमित नहीं हो पाया। अब सब कुछ ठीक होने के बाद एक बार फिर से इसके लिए प्रयास शुरू किया गया है। प्राथमिक आकलन है कि जल मार्ग से आध्यात्मिक यात्रा के लिए दोनों ओर से भरपूर यात्री मिलेंगे। कारण यह कि बनारस आने वाले पर्यटकों के केंद्र में गंगा ही होती हैं। ऐसे में दो दिन गंगा की धारा पर बिताने और एक साथ तीन धर्मनगरियों से जुड़ पाने का मोह कोई भी संवरण नहीं पाएगा।