- हाथों से डिजाइन किए जाते हैं परिधान
- कारीगरों के पास एक साल पहले से ही आने लगते हैं परिधानों के ऑर्डर
- वोकल फॉर लोकल और ओडीओपी को मिल रहा बढ़ावा
वाराणसी : अपनी धरोहर, विरासत और अध्यात्म के लिए पूरी दुनिया मे मशहूर बाबा विश्वनाथ की धरती काशी के कारीगरों की कारीगरी का लोहा विदेशों में बोल रहा है। यहां के डिजाइनर परिधानों के विदेशी पर्यटक भी कायल हैं। वाराणसी के विशेष परिधान सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वाराणसी में बने सिल्क के परिधान मशहूर ड्रेस डिजाइनरों की पहली पसंद है।
‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘एक जनपद एक उत्पाद’ (ओडीओपी) मुहिम को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्योहारों पर इस योजना के तहत लोगों से उत्पादों को खरीदने व एक दूसरे को उपहार देने की अपील की है जिसके बाद विदेशों में भी क्रिसमस के मौके पर इस मुहिम के तहत लोगों ने खूब खरीदारी की।
साल 2005 में जब सैयद हुसैन कपड़ों की प्रदर्शनी लगाने के लिए ग्रीस और रोम गए थे, तब उन्होंने वहां के डिजाइनरों को बनारस के कुछ नायब डिजाइन दिखाए। वहां के डिजाइनरों ने पुराने परिधानों में कुछ बदलाव का सुझाव देकर उनको परिधानों को तैयार करने का ऑर्डर दिया। जिसके बाद उन्होंने नए डिजाइनर परिधानों को तैयार कर उनके समक्ष पेश किया। तब से आज तक वहां के पादरी काशी के जरदोजी से तैयार परिधानों को ही पहनते आ रहे हैं।
वाराणसी में तैयार होने वाले गाउन हो या फिर टोपी इन सभी को कारीगरों द्वारा हाथ से बनाया जाता है। विदेशों से वाराणसी के कारीगरों के पास क्रिसमस के सालभर पहले से ही इन परिधानों के ऑर्डर आने लगते हैं। क्रिसमस से पहले कारीगरों द्वारा तैयार किए गए इन डिजाइनर परिधानों को रोम, ग्रीस और अमेरिका में भेज दिया जाता है। योगी आदित्यनाथ के इस सुझाव से एक ओर वाराणसी के दस्तकारों की आमद में बढ़ोत्तरी हुई है तो वहीं दूसरी ओर ये दस्तकार दूसरे दस्तकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।