वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत ने स्वीकार कर लिया है। बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका की ग्राह्यता को लेकर 20 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। पक्षकारों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिला जज ने अग्रिम सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तिथि मुकर्रर कर दी।
अदालत में मामला
1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिृृलग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। इस मामले में एमाइकस क्यूरी ने ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से रडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अदालत से अपील की थी। एमाइकस क्यूरी की इस अपील पर सुनवाई अभी लंबित है।सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई थी।
ज्ञानवापी केस में कई पक्षकार
पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात 25 फरवरी को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था। लेकिन सिविल जज के इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एक जुलाई तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 18 सितंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई।