- रैपिड टेस्ट किट्स वापस भेजने के फैसले के बाद चीन के रुख में नरमी
- चीन ने कहा आपस में मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने की जरूरत
- राज्यों की शिकायत के बाद आईसीएमआर ने किट्स के इस्तेमाल पर लगा दी थी रोक
नई दिल्ली। क्या चीन कोरोना काल में भी दोयम दर्जे का सामान निर्यात कर रहा है। दरअसल कोरोना वायरस का सामना करने के लिए चीन की तरफ से जो किट्स आए खासतौर से रैपिड एंटी बॉडीज किट्स उसमें खराबी की शिकायत बताई गई। राजस्थान के बाद हरियाणा और कुछ दूसरे प्रदेशों ने इस्तेमाल करने से मना कर दिया तो भारत सरकार हरकत में आई। दो दिनों की जांच प्रक्रिया के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने साफ कर दिया कि ये किट्स जहां से मंगाए गए हैं वहीं वापस भेज दिए जाएंगे।
चीन के तेवर में आई नरमी
भारत के इस रुख के बाद चीन नरम पड़ा है और उसका कहना है कि इस विषय को मिलजुल कर सुलझाने की जरूरत है। इस मामले में चीनी फर्मों के साथ संवाद स्थापति किया जाना चाहिए। आईसीएमआर ने सोमवार को सभी राज्य सरकारों को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करते हुये साफ कर दिया कि दोषयुक्त किट्स को इस्तेमाल न करें। बता दें कि इन किट्स की खरीह ग्वांगझू की वोंडफो बॉयोटेक और झुहाई की लिवजॉन डॉयग्नोस्टिक से की गई थी।
चीनी कंपनियों की सफाई भारत को नहीं आई रास
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से जब पूछा गया कि क्या खराब किट्स के मामले में चीनी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई होगी तो उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के सामने आने के बाद से ही दोनों सरकारें एक साथ मिलकर काम कर रही हैं। इस बीच उन्होंने कहा कि भारत को किट्स की निर्यात करने वाली दोनों कंपनियों का कहना है कि चीन ती नेशनल मेडिकल प्रोडेक्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन की अनुमति के बाद ही इन्हें तैयार किया गया था और गुणवत्ता के सभी मानकों पर किट्स खरी उतर रही थीं और उसे आईसीएमआर ने प्रमाणित भी किया था।