- पंजशीर घाटी से मिली तालिबान को ललकार, अहमद मसूद ने अमेरिका से मांगे हथियार
- अहमद मसूद ने कहा अमेरिका हथियार मुहैया कराए तो तालिबान से करा देंगे मुक्त
- अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी पंजशीर इलाके से रखते हैं ताल्लुक
वाशिंगटन डीसी: प्रसिद्ध अफगान कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के खिलाफ हमला बोला है। काबुल और देश के अन्य हिस्सों पर तालिबान के कब्जा करने के बाद अब अहमद मसूद अब अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने और आतंकवादी समूह के खिलाफ हथियार उठाने के लिए तैयार है। नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद को पंजशीर घाटी का शेर कहा जाता है। राजधानी काबुल के नजदीक स्थित यह घाटी इतनी खतरनाक है कि 1980 से लेकर अभी तक इस पर कभी भी तालिबान काबिज नहीं हो सका।
अमेरिका से मांगी मदद
अहमद मसूद ने तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए अमेरिका से मदद मांगी है। मसूद ने द वाशिंगटन पोस्ट के एक ऑप-एड में कहा, 'मैं आज पंजशीर घाटी से लिख रहा हूं, अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के लिए मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ, जो एक बार फिर तालिबान से मुकाबला करने के लिए तैयार हूं। हमारे पास गोला-बारूद और हथियारों के भंडार हैं जिन्हें हमने अपने पिता के समय से धैर्यपूर्वक एकत्र किया है, क्योंकि हम जानते थे कि यह दिन आ सकता है।'
अमरुल्ला सालेह भी पंजशीर से
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी इसी इलाके से आते हैं जिन्होंने ट्वीट कर कहा कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा। अमरुल्ला सालेह अब अशरफ गनी की अनुपस्थिति में खुद को राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। सालेह तालिबान का विरोध करने के लिए अपनी सेना को पंजशीर में केंद्रित कर रहे हैं।
अंतिम दम तक करेंगे पंजशीर की रक्षा
मसूद ने लेख में कहा, 'अमेरिका और उसके लोकतांत्रिक सहयोगियों नै न केवल अफगानों के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई है बल्कि हमारा पास साझा आदर्शों और संघर्षों से बना एक लंबा इतिहास रहा है। आजादी के लिए आप अभी भी बहुत कुछ सहायता कर सकते हैं। आप हमारी एकमात्र शेष आशा है। चाहे कुछ भी हो, मेरे मुजाहिदीन लड़ाके और मैं अफगान स्वतंत्रता के अंतिम गढ़ के रूप में पंजशीर की रक्षा करेंगे। हमारा मनोबल बरकरार है। हम अनुभव से जानते हैं कि हमें किस चीज का इंतजार है। लेकिन हमें अधिक हथियार, अधिक गोला-बारूद और अधिक आपूर्ति की आवश्यकता है।'
कही ये बात
अफगान कमांडर ने कहा कि अफगानिस्तान में लाखों लोग पश्चिमी मूल्यों को साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमने एक खुले समाज के लिए इतने लंबे समय तक संघर्ष किया है, जहां लड़कियां डॉक्टर बन सकती हैं, हमारा प्रेस स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट कर सकता है, हमारे युवा नृत्य कर सकते हैं और संगीत सुन सकते हैं या उन स्टेडियमों में फुटबॉल मैचों में भाग ले सकते हैं जो कभी तालिबान द्वारा इस्तेमाल किए जाते थे। यह जल्द ही फिर से हो सकता है।'