- बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ को सबसे ज्यादा बार प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला, लेकिन वह भी अपना कार्यकाल पूरी नहीं कर पाए।
- पाकिस्तान में सबसे पहले 1958 में सेना प्रमुख अयूब खान ने सैनिक शासन लागू किया।
- लियाकत अली खां की गोली मारकर हत्या कर दी गई और जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दी गई थी।
Imran Khan: एक बार फिर पाकिस्तान में इतिहास दोहराने की कगार पर है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब नेशनल असेंबली में बहुमत खो चुके हैं। और अविश्वास प्रस्ताव हारने की बस रसम पूरी होनी रह गई है। क्योंकि न केवल उनकी पार्टी के 24 सांसद बागी हो चुके हैं बल्कि उनके सहयोगी दल (MQM P)ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। ऐसे में उनकी विदाई की औपचारिकता रह गई है। और यह भी साफ हो गया है कि इमरान खान उस परंपरा को नहीं तोड़ पाएंगे, जिसमें पिछले 75 साल में पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरी नहीं कर पाया है।
पहले 10 सालों में बेहद अस्थिर रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान और भारत एक साथ आजाद हुए थे। लेकिन पहले 10 साल का दौर देखा जाय तो वह भारत से बेहद अलग रहा। एक तरफ भारत में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मजबूती के साथ सरकार चला रहे थे। वही पाकिस्तान में पहले 10 साल में 7 प्रधानमंत्री बन गए। इसमें सबसे ज्यादा समय तक पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की सरकार चली। जिनकी चौथे साल (साल 1951) हत्या कर दी गई।
अस्थिरता का सेना ने उठाया फायदा
जिस तरह पहले 10 साल के आखिरी 6 साल में 6 प्रधानमंत्री बने, उससे साफ था कि जनता में नाराजगी बढ़ रही थी और लोगों का लोकतंत्र से भरोसा भी उठ रहा था। इसी का फायदा सेना प्रमुख अयूब खान ने उठाया। उन्होंने 1959 के आम चुनाव से पहले तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा के साथ मिलकर सैनिक शासन लागू कर दिया । और 1959 से लेकिन 1969 तक पाकिस्तान में सेना का शासन रहा। अयूब खान के दौर से सेना को सरकार का स्वाद मिल गया। और फिर उसके बाद चाहे किसी की भी सरकार को पाकिस्तान में सेना के इशारे पर सब-कुछ होने लगा।
भुट्टो दौर और जिया उल हक का शासन
अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते अयूब खान को सत्ता से हटना पड़ा लेकिन बीच में 13 दिनों को छोड़कर सेना का ही शासन रहा । इसके बाद 1973 से 1997 तक पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो का दौर 4 साल तक चला, जिन्हें 1977 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख मोहम्मद जिया उल हक ने कुर्सी से हटाकर फिर से सेना का शासन लागू कर दिया गया। बाद में भुट्टों को फांसी दे दी गई। और इसके बाद जिया-उल-हक का सैनिक शासन 1985 तक चला।
बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ का दौर
पाकिस्तान के लोकतंत्र के इतिहास में साल1988 के चुनाव बेहद अहम रहा। इन चुनावों में जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनीं। और ऐसा कर वह पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। लेकिन दो साल बाद 1990 में पाकिस्तान में फिर आम चुनाव हुए। इस चुनाव में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं और नवाज शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए। इसके बाद 1999 तक नवाज और बेनजीर भुट्टों का दौर रहा । 1999 में एक बार फिर पाकिस्तान में सैनिक शासन लागू हो गया और सत्ता सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ के हाथ में चली गई। और उनका 2002 तक शासन रहा। इसके बाद प्रमुख रूप से यूसुफ रजा गिलानी और नवाज शरीफ का शासन रहा। और 2017 में नवाज शरीफ की नियुक्ति को कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहरा दिया गया। और फिर 2018 में इमरान खान ने सत्ता संभाली। और अब ऐसा लग रहा है कि चंद दिनों के प्रधानमंत्री रह गए हैं।
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