- ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक भारत ने 15,900 से ज्यादा भारतीयों को यूक्रेन से निकाल लिया है।
- भीषण युद्ध और कड़ाके की ठंड ने युद्ध में फंसे लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
- इस बीच भारतीय दूतावास ने कहा कहा कि सुमी में फंसे भारतीयों को पश्चिमी सीमा से पोल्टोवा के जरिए निकाला जाएगा।
Russia-Ukraine War: यूक्रेन के सुमी शहर में फंसे उन 700 भारतीय छात्रों और उनके परिवारों के लिए, बीती रात 10 बजे (भारतीय समयानुसार) एक उम्मीद बढ़ाने वाली खबर आई। भारतीय दूतावास ने यह जानकारी दी है , कि जल्द ही सुमी में फंसे भारतीयों को पश्चिमी सीमा से पोल्टोवा के जरिए निकाला जाएगा। सही समय और तारीख जल्द ही बताई जाएगी। रूस बार्डर से महज 60-70 किलोमीटर की दूरी पर बसे यूक्रेन के शहर सूमी में भीषण युद्ध चल रहा है। और लोग अपनी जान बंचाने के लिए बंकरों में छुपे हुए हैं। जिसमें भारतीय भी शामिल है। अब उनको वहां से आसानी से निकलने का रास्ता सीज फायर ही दिखता है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस बीच यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्री Serhiy Shkarlet ने सोमवार को कहा है कि 'आज तक, सूमी में लगभग 1,700 विदेशी छात्र हैं। छात्र सुरक्षित बंकरों में हैं, उन्हें गर्म भोजन, पानी आदि दिया जा रहा है। फिलहाल वहां से निकालना खतरनाक है।
रूस ने किया 4 शहरों में सीज फायर का ऐलान
इस बीत राहत की एक और खबर आई है कि रूस ने यूक्रेन के 4 शहरों में सीजफायर का ऐलान किया है। यह सीजफायर आज (सोमवार) दोपहर 12:30 बजे से लागू हो गया है। इसके तहत यूक्रेन के मारियुपोल, खारकीव, कीव और सुमी शहर में सीजफायर लागू रहेगा। ऐसे में अब भारत सरकार और दूसरे देशों के लिए सूमी में फंसे भारतीयों को निकलना कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा।
यूक्रेन में परेशान भारतीय
इसके पहले पिछले 10 दिनों से सुमी में फंसे, भारतीय छात्रों ने शनिवार को एक वीडियो भी पोस्ट किया था। जिसमें वह कह रहे थे, कि वह अपनी जान को जोखिम में डालकर रूस की सीमा की ओर जाने की तैयारी में हैं। हालांकि उनके पोस्ट के बाद भारत सरकार के तरफ से यह भरोसा दिलाया गया कि आप परेशान न हो , बंकरों में रहें और जल्द ही आपको निकाला जाएगा।
भीषण युद्ध और ठंड की दोहरी मार
सुमी से नागरिकों को बाहर निकालने में हो रही देरी की दो प्रमुख वजहें हैं। पहली बात यह कि वहां पर भीषणा युद्ध चल रहा है। रूस सीमा के एक दम नजदीक होने के कारण वहां पर रूसी सैनिकों के लिए हमला करना बेहद आसान है। दूसरी समस्या वहां का तापमान है। जो कि जीरो डिग्री से भी नीचे हैं। रविवार को सुमी का न्यूनतम तापमान -1 डिग्री सेंटीग्रेड था। कड़कड़ाती ठंड में खाने-पीने की चीजों की भी मुश्किल आ रही है। इसके अलावा ऐसी रिपोर्ट भी है कि वहां पर दुकाने लूट ली गई हैं। और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भारी तबाही हुई है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन भी एक बड़ी समस्या है। हालांकि सीजफायर के ऐलान के बाद इन दिक्कतों से पार पाना आसान होगा।
मानव कॉरिडोर से आसान होगी राह
इसी बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से सुमी और दूसरे इलाकों में फंसे हुए भारतीयों को निकालने के लिए अहम बातचीत हुई है। इस बीच भारत ने 15,900 से ज्यादा भारतीयों को यूक्रेन से निकाल लिया है। युद्ध से पहले यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय रहते थे। इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी रूस और यूक्रेन से नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए मानव कॉरिडोर बनाने का अनुरोध किया है।
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