- 1970 के दशक में बलूचिस्ता लिबरेशन आर्मी का गठन
- जियाउल हक ने इस संगठन के साथ अघोषित संघर्ष विराम किया
- परवेज मुशर्रफ के शासन में आने के बाद इस आतंकी संगठन की तरफ से हमले तेज हुए
नई दिल्ली। सोमवार को पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी दहल उठी। चार नकाबपोशों ने कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमला कर दिया हालांकि सुरक्षाबलों ने चारों आतंकियों को मार गिराया। लेकिन पांच सुरक्षाकर्मियों को शहादत भी देनी पड़ी। पहले पहल सवाल उठा कि यह किस संगठन की हरकत हो सकती है, इस पर तरह तरह की बातें की जाती रहीं लेकिन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने जैसे ही हमले की जिम्मेदारी ली पाकिस्तान की तरफ से बयान आया कि यह एक गंभीर साजिश है। इन सबके बीच यह जानना जरूरी है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी संगठन कहां पर एक्टिव है।
1970 के दशक में बीएलए का गठन
1970 के दशक में ज़ुल्फिकार अली भुट्टों पाकिस्तान की कमान संभाल रहे थे और उसी दौरान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का गठन हुआ। इस आर्मी के गठन के पीछे का मकसय यह था कि बलूची लोगों का मानना था कि पाकिस्तान ने उन पर कब्जा कर रखा और उसके खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाने लगा। एक तरह से पाक सेना के सामने बड़ी चुनौती के तौर पर यह संगठन उभरा। पाकिस्तान की सत्ता पर जब जियाउल हक काबिज हुए तो उन्होंने बलूच नेताओं से बातचीत की और इस संगठन के साथ अघोषित संघर्ष विराम कर लिया। इस संगठन में मुख्य रूप से पाकिस्तान के दो जनजातियों मिरी और बुगती लड़ाके शामिल हैं।
जियाउल हक ने किया था अघोषित संघर्ष विराम
जियाउल हक से समझौते के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी इस घटना के पहले तक किसी बड़े आतंकी वारदात को अंजाम नहीं दिया था। लेकिन परवेज मुशर्रफ के शासन काल में वर्ष 2000 के करीब बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या हो गई। बताया जाता है कि पाकिस्तानी सेना ने मुशर्रफ के इशारे पर इस मामले में बलूच नेता खैर बक्श मिरी को गिरफ्तार कर लिया और इसके बाद अघोषित संघर्ष विराम का सिलसिला टूट गया।
2006 में आतंकी संगठन घोषित
एक तरह से बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना और पुलिस का दमन बढ़ा तो तो जवाब में आतंकी हमलों की संख्या में भी इजाफा हुआ। पाकिस्तान सरकार ने 2006 में कार्रवाई करते हुए बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को आतंकी संगठन घोषित कर दिया। इसके पीछे दलील दी गई कि इस संगठन कती वजह से बलूचिस्तान में हिंसा हो रही और पाकिस्तान की सार्वभौमिकता को चुनौती पेश हो रही है।