जिनेवा: कश्मीर मुद्दे पर दुनिया के नेताओं से सहयोग नहीं मिलने पर पाकिस्तान बौखला गया है। वह अनाप शनाप बयान दे रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का ताजा बयान इसका एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के बारे में सबकुछ जानने के बावजूद यूरोपीय यूनियन के देश "राजनीतिक कारणों" से एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता संभव नहीं। दोनों देशों के बीच सुलह के लिए थर्ड पार्टी की मध्यस्थता ही एकमात्र विकल्प है।
पाकिस्तानी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'स्विस टीवी' को दिए एक इंटरव्यू में कुरैशी ने कश्मीर में मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यूरोपीय यूनियन के देश वहां के परिदृश्य से बहुत अच्छे से वाकिफ हैं, लेकिन वे 'राजनीतिक कारणों' के कारण आवाज नहीं उठा रहे हैं।
कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने एक से अधिक बार इस मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन पड़ोसी देश ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता की कोई संभावना नहीं है। इसलिए किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप एकमात्र रास्ता बचा है।
उन्होंने पिछले आरोपों को दोहराते हुए कहा कि भारत में वर्तमान सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे पर काम कर रही है। कुरैशी ने कश्मीर में लागू प्रतिबंधों को हटाने का भी आग्रह किया।
गौर हो कि मोदी सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। प्रदेश दो हिस्सों में बांटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। तब से वहां सीमा पार से होने वाले आतंकी हमले को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। टेलिफोन, मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। हालांकि अब पूरे प्रदेश में लैंडलाइन फोन सेवा बहाल कर दी गई है।