- 1948 में हैदराबाद निजाम के वित्त मंत्री ने पाक उच्चायुक्त के खाते में भेजी थी रकम
- इस रकम पर पाकिस्तान ने किया था दावा, कोर्ट ने खारिज कीं उसकी दलीलें
- संपत्ति पर हिस्सेदारी को लेकर हैदराबाद निजाम के उत्तराधिकारियों में है मतभेद
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में कश्मीर मसले पर मुंह की खाने वाले पाकिस्तान को ब्रिटेन की अदालत ने भी झटका दिया है। ब्रिटने की हाई कोर्ट ने दशकों पुराने हैदराबाद निजाम की रकम पर पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस रकम पर भारत और निजाम के उत्तराधिकारियों का हक है। निजाम की संपत्ति पर पाकिस्तान ने दावा किया था लेकिन कोर्ट उसकी दलीलों से सहमत नहीं हुआ। पाकिस्तान अब ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।
बता दें कि यह मामला आजादी के समय का है। उस समय हैदराबाद से ब्रिटेन के एक बैंक में रकम भेजी गई थी और यह रकम नेशनल वेस्टमिनिस्टर बैंक में बढ़कर 350 करोड़ रुपए हो गई है। इस रकम पर पाकिस्तान, भारत और हैदराबाद निजाम के उत्तराधिकारियों ने दावा किया है। इस रकम के लिए कोर्ट में वर्षों से सुनवाई हो रही है। हाई कोर्ट में हार मिलने के बाद पाकिस्तान अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
हैदराबाद रियासत के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के 120 उत्तराधिकारियों का इस रकम पर दावा है। खान के पोते नजफ अली खान कोर्ट में इस केस को लड़ रहे हैं। एक समाचार पत्र से बात करते हुए कुछ समय पहले नजफ अली ने कहा था, 'हम उम्मीद करते हैं कि 70 वर्षों से चले आ रहे इस केस का अंत होगा और फैसला आएगा। मैं इस केस में परिवार के एक बड़े धड़े का नेतृत्व कर रहा हूं।'
सूत्रों का कहना है कि इस संपत्ति पर अपनी हिस्सेदारी को लेकर निजाम के उत्तराधिकारी बंटे हुए हैं। नजफ अली का कहना है कि 1957 से बंद पड़े इस मामले को उन्होंने खोला। उनका कहना है, 'मैंने साल 2008 में इस मामले की सुनवाई की पहल की जबकि अन्य लोग 2013 में इससे जुड़े।' सितंबर 1948 में निजाम के वित्त मंत्री मोईन नवाज जंग ने लंदन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त हबीब इब्राहिम रहीमतोला के खाते में एक मिलियन पाउंड्स ट्रांसफर किए थे। अब यह रकम बढ़कर 350 करोड़ रुपए हो गई है। आंकड़ों की मानें तो अक्टूबर 1947 से सितंबर 1948 के बीच निजाम के पैसों का भारी दुरुपयोग और हेरफेर हुआ।