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इमरान खान उतारेंगे सऊदी अरब का कर्ज, चीन से लिया 1.5 अरब डॉलर का लोन

Updated Dec 14, 2020 | 11:13 IST

कर्ज की जाल से पाकिस्तान को बचाने के लिए चीन दूसरी बार सामने आया है। इसके पहले इस साल की शुरुआत में इस्लामाबाद सऊदी अरब को एक अरब डॉलर का कर्ज की अदायगी कर चुका है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
इमरान खान उतारेंगे सऊदी अरब का कर्ज।

इस्लामाबाद : सऊदी अरब का कर्ज उतारने के लिए पाकिस्तान एक बार फिर अपने सदाबहार मित्र चीन के पास पहुंचा है। कर्ज उतारने के लिए चीन 1.5 अरब डॉलर का लोन पाकिस्तान को देने के लिए तैयार हो गया है। इस लोन से पाकिस्तान इस सप्ताह सऊदी अरब का 1 अरब डॉलर का कर्ज की चुकौती करेगी। कर्ज की जाल से पाकिस्तान को बचाने के लिए चीन दूसरी बार सामने आया है। इसके पहले इस साल की शुरुआत में इस्लामाबाद सऊदी अरब को एक अरब डॉलर का कर्ज की अदायगी कर चुका है। बताया जाता है कि कर्ज की दूसरी किश्त जो कि एक अरब डॉलर है, उसे इस्लामाबाद जनवरी में चुकाएगा। 

चीन ने सीएसए के आकार को बढ़ाया
रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीन ने पाकिस्तान को इस बार लोगन अपने स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज से नहीं दिया है। इस लोन के बारे में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए अपना करेंसी स्वैप अग्रीमेंट (सीएसए) के आकार को बढ़ा रहा है। वह इसमें 10 अरब चीनी युआन की वृद्धि कर रहा है जो कि करीब 1.5 अरब डॉलर बैठता है। चीन और पाकिस्तान के बीच दिसंबर 2011 में सीएसए पर हस्ताक्षर हुए थे। यह करार स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना  (पीबीओसी) के बीच हुआ। 

2014 में हुआ था करार
इस करार का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना, प्रत्यक्ष निवेश में पूंजी लगाना और शॉर्ट टर्म के लिए लिक्विडिटी सपोर्ट उपलब्ध कराना है। दिसंबर 2014 में इस करार को दोबारा तीन साल के लिए और फिर मई 2018 में तीन वर्ष के लिए बढ़ाया गया। चीन और पाकिस्तान के बीच यह करार अगले साल मई में खत्म होने वाला है। रिपोर्टों की मानें तो एसबीपी ने इस करार को और तीन साल बढ़ाने के लिए चीन से अनुरोध किया है। 

पाकिस्तान से नाराज चल रहा है सऊदी
दरअसल, ओआईसी में पाकिस्तान की खेमेखाजी की वजह से सऊदी अरब नाराज हो गया। इसके अलावा कश्मीर के मसले पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान ने उसकी नाराजगी बढ़ाने का काम किया। इसके बाद सऊदी ने पाक से अपना कर्ज चुकाने के लिए कहा। कुछ समय पहले तक चीन और सऊदी अरब के बीच काफी निकटता थी और मुश्किल समय में सऊदी इस्लामाबाद की मदद करता आया था।