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Coronavirus Vaccine Update: रूस से पहले चीन लोगों को दे रहा है कोरोना वैक्सीन, चौंकाने वाली जानकारी आई सामने

Coronvirus Vaccine: रूस से पहले चीन लोगों को दे रहा है कोरोना वैक्सीन, चौंकाने वाली जानकारी आई सामने
Updated Aug 26, 2020 | 09:27 IST

Coronavirus Vaccine update: क्या रूस से पहले चीन ने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन का डोज अपने नागरिकों को दिया था। इस संबंध में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

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Coronvirus Vaccine: रूस से पहले चीन लोगों को दे रहा है कोरोना वैक्सीन, चौंकाने वाली जानकारी आई सामनेCoronvirus Vaccine: रूस से पहले चीन लोगों को दे रहा है कोरोना वैक्सीन, चौंकाने वाली जानकारी आई सामने
रूस से पहले चीन लोगों को दे रहा था कोरोना वैक्सीन का डोज(प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • रूस से पहले चीन में दिया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन, चीनी मंशा पर उठे सवाल
  • चीन ने भी किसी तरह का डेटा नहीं किया है साझा
  • 11 अगस्त को रूस ने स्पुतनिक वी वैक्सीन को किया था लांच

नई दिल्ली। दुनिया के करीब 182 मुल्क कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं। इस महामारी से निपटने का उपाय वैक्सीन में है और जल्द से जल्द वैक्सीन को बाजार में उतारा जाए उसकी तैयारी भी चल रही है। इन सबके बीच रूस ने स्पुतनिक वी को 11 अगस्त को लांच कर दिया। यह बात अलग है कि दुनिया के कुछ खास देशों जैसे ब्रिटेन, जर्मनी और ब्रिटेन को भरोसा नहीं है। इसके ही साथ एक और जानकारी सामने आई है जिसके मुताबिक चीन ने रूस से पहले ही लोगों को वैक्सीन देना शुरू कर दिया था। सवाल यह है कि क्या चीन ने मानकों को पूरा किया है। दरअसल रूस पर भी आरोप लगाया जा रहा है कि उसने बिना डेटा को साझा किए वैक्सीन को लांच कर दी। 

22 जुलाई से चीन दे रहा है कोरोना वैक्सीन
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग का कहना है कि वो 22 जुलाई से ही अपने लोगों को वैक्सीन की डोज दे रहा है। लेकिन यह साफ नहीं है कि क्लिनिकल ट्रायल में किन लोगों को वैक्सीन दी गयी थी। फिलहाल वैक्सीन को कोई नाम भी नहीं दिया गया है। इन सबके बीच स्वास्थ्य आयोग का दावा है कि जिन लोगों को वैक्सीन की डोज दी गई है उन पर किसी तरह का बुरा असर नहीं है। यह जानकारी सामने आ रही है कि शुरुआती चरण में वैक्सीन को इमिग्रेशन और मेडिकल स्टॉफ को ही दिया गया है। चीन ने इस संबंध में दो तर्क पेश किए हैं पहला यह कि इमिग्रेशन के अधिकारी विदेश से आ रहे हैं और मेडिकल स्टॉफ कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहा है। 

चीन ने भी नहीं साझा किया है डेटा
बता दें कि  रूसी वैक्सीन के साथ साथ चीनी वैक्सीन पर अब सवाल उठना शुरू हो चुका है, लेकिन दोनों में समानता अधिक है। क्लिनिकल ट्रायल के दौरान दोनों वैक्सीन ने मानकों को साबित नहीं किया है। इसका अर्थ यह है कि डेटा को पूरी दुनिया से साझा नहीं किया गया। इसके साथ ही यह माना जा सकता है कि जब तक पूरी तरह वैक्सीन के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी न मिले एक तरह से बड़ा खतरा है।