- बढ़ते तनाव का असर चीन की हर हरकत में दिख रहा है।
- बुधवार को जारी श्वेत पत्र में चीन ने साफ कर दिया है कि वह जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग करने से पीछे नहीं हटेगा।
- चीन ताइवान को वन चाइना पॉलिसी का हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है।
China-Taiwan Tension:चीन और ताइवान के बाद विवाद सुलझता नहीं दिख रहा है। और जिस तरह चीन आक्रामक हो रहा है, उससे लगता है कि वह युद्ध की दिशा में बढ़ रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की प्रमुख नैंसी पोल्सी के जाने के बाद से चीन ने तीन ऐसे कदम उठाए हैं, जो उसकी आक्रमक नीति के संकेत दे रहे हैं। पहले तो उसने चारों तरफ से ताइवान को घेर कर चार दिनों तक सैन्य अभ्यास किया। उसके बाद उसने ताइवान पर 22 साल बाद श्वेत पत्र जारी कर दिया है। जिसमें उसने साफ कर दिया है ताइवान हमेशा से चीन का हिस्सा रहा है, उसे हासिल करने के लिए सैन्य बल से भी परहेज नहीं करेगा। और इसके संकेत उसने ताइवान के करीब पनडुब्बी को उतार कर दे दिया है।
ताइवान ने भी शुरू किया सैन्य अभ्यास
चीन और ताइवान के बीच तनाव किस हद तक बढ़ गया है, उसे इसी से समझा जा सकता है कि चीन के रूख को देखते हुए ताइवान ने तीन दिन में दो बार सैन्य अभ्यास किया है। पहले उसने मंगलवार को चीन के पास फायर ड्रिल किया और उसके बाद बृहस्पतिवार को भी फायर ड्रिल किया है। ताइवान 8 आर्मी कॉर्प्स के प्रवक्ता लो वोई-जाय ने बताया कि हावित्जर तोपों के साथ-साथ दूसरे हथियारों के जरिए लाइव ड्रिल की गई।
चीन ने 22 साल बाद जारी किया श्वेत पत्र
बढ़ते तनाव का असर चीन की हर हरकत में दिख रहा है। जिस ताइवान को पहले वह स्वायत्तता देने की बात करता था। अब वह कहीं ज्यादा सख्ती करने की बात कर रहा है। बुधवार को जारी श्वेत पत्र में चीन ने साफ कर दिया है कि वह पहले की तरह ताइवान को स्वायत्तता नहीं देगा। और उसे चीन का हिस्सा मानना होगा और अगर वह ऐसा नहीं करता है तो चीन कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है। और इसके लिए बल प्रयोग करने से पीछे नहीं हटेगा। इसके बाद ऐसी आशंका जताई जा रही है कि चीनी सेना अब ताइवान पर हमला करने के लिए स्वतंत्र है। इसके पहले 1993 और 2000 में जारी दो श्वेत पत्रों में चीन ने ताइवान को यह ऑफर दिया था कि अगर वह चीन में अपना विलय करता है, तो उसे काफी हद तक स्वायत्तता मिलती रहेगी।
हालांकि ताइवान ने बुधवार को चीन के श्वेत पत्र को खारिज कर दिया है। उसने कहा है कि श्वेत पत्र पूरी तरह से झूठ का पुलिंदा है और तथ्यों को नकारने वाला है। चीन, नैन्सी पोल्सी की यात्रा के बहाने यथास्थिति को नकारने की कोशिश कर रहा है। और उसकी कोशिश इस क्षेत्र में नई समस्या खड़ी करना है।
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क्या है चीन की वन चाइना पॉलिसी
चीन ताइवान को वन चाइना पॉलिसी का हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। ताइवान का अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है। ताइवान और चीन के बीच विवाद की शुरूआत 1949 से शुरू हुआ था। जब 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल कर राजधानी बीजिंग पर कब्जा कर लिया। और हार के बाद सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) के लोगों को भागना पड़ा। कुओमिंतांग पार्टी के सदस्यों को ताइवान में जाकरण शरण लेनी पड़ी और वहीं पर उन्होंने अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
(एजेंसी इनपुट के साथ)