- चीन ने लद्दाख के करीब किया युद्धाभ्या, हुबेई से पैराट्रूपर्स भेजे गए
- ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक 14 मई को भी हुआ था अभ्यास
- पैंगोग सो लेक, गलवान घाटी और फिंगर एरिया की एक चोटी पर चीन की नजर
नई दिल्ली। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में चीन तनातनी के मुद्रा में है तो भारत ने भी संदेश दे दिया है कमजोर समझने की भूल न करे। लेकिन यह दोनों देशों के लिए अच्छा होगा कि बातचीत से विवाद सुलझ जाए। शनिवार को दोनों पक्षों की तरफ से चीनी साइड मोल्डो में लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की उनके समकक्ष से बातचीत हुई और यह सिलसिला आगे बढ़ाने पर भी सहमति बनी। यहां एक बात ध्यान देने वाली है बातचीत के बीच में भारतीय फौज के प्रवक्ता ने कहा था कि उकसावे वाली कार्रवाई से न सिर्फ बचने की जरूरत है बल्कि अफवाहों पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए।
ग्लोबल टाइम्स का इशारा
ग्लोबल टाइम्स ने एक खबर की तरफ इशारा किया है जिसमें चीन की सेना उत्तर पश्चिम सीमा पर युद्धाभ्यास कर रही है। यहीं से चीन की नीयत पर सवाल उठता है कि ड्रैगन और हाथी एक साथ डांस कैसे कर सकते हैं। बता दें कि इस मुहावरे का इस्तेमाल चीनी सेना की तरफ से किया गया था। सेंट्रल चीन के हुबेई प्रांत से हजारों किमी दूर पैराट्रूप्स और बख्तरबंद गाड़ियों ने कूच किया। चीनी सेना का कहना है कि इस युद्धाभ्यास का मतलब यह है कि हम बहुत शार्ट नोटिस पर किसी तरह की कार्रवाई के लिए तैयार हो सकते हैं।
14 मई को भी चीन ने किया था युद्धाभ्यास
चीनी सेना के एक अधिकारी का कहना है कि इसका मकसद यह है कि हम हाई अल्टीट्यूड बैटल में कितने सक्षम है। जिस तरह से सेंट्रल चीन के हुबेई से सेना आगे बढ़ी और हमने सफल अभ्यास किया उससे संकेत मिलता है कि चीन के किसी भी हिस्से से हम अपनी फौज के लिए युद्धक्षेत्र में अतिरिक्त मदद भेज सकते हैं। यह सिर्फ पैकाट्रूपर्स के लिए ही नहीं है बल्कि हम अपने थल सैनिकों को भी तेजी के साथ मोबिलाइज कर सकते हैं। चीनी मीडिया के मुताबिक 14 मई को बी 76वीं पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड की तरफ लॉन्ग डिस्टेंस मूवमेंट पर सैनिक निकले।