- नेपाली जमीन पर चीनी अतिक्रमण चिंता वाली बात, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने किया अलर्ट
- नेपाल की सीमा से सटे सात जिलों में चीनी अतिक्रमण
- ओली सरकार अपने ही सर्वे विभाग के रिपोर्ट को कर चुकी है खारिज
नई दिल्ली। चीन की विस्तारवादी नीति के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी आगाह करते रहते हैं। उनके साथ साथ चीन से जिन देशों की सीमाएं साझा होती हैं वो भी चीन की ललचाई नजरों से परेशाना है। यह बात अलग है कि चीन जब किसी की जमीन पर कब्जा करता है तो उसे अपना बताता है। लेकिन इन सबके बीच जब खबर आई कि नेपाल को लालच में फंसाकर चीन उसकी जमीन पर कब्जा कर रहा है तो ओली सरकार इस तरह की खबरों से कन्नी काटती रही है, यह बात अलग है कि ओली सरकार का विभाग ही चीन की इस तरह की नापाक हरकतों पर आवाज उठा चुका है। इन सबके बीच भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जो जानकारी दी है वो परेशान करने वाली है।
नेपाल के सात जिलों में चीनी अतिक्रमण
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक चीन ने अपनी सीमा से सटे नेपाल के सात जिलों में कुछ न कुछ हिस्से पर अपना कब्जा जमा चुका है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के हालात भारत के लिए ठीक नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि जिस रफ्तार से चीन नेपाल की जमीन को निगल रहा है उस बारे में नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार भले ही कुछ ना बोले एक बात तो साफ है कि वास्तविक तस्वीर ज्यादा भयावह है। खुफिया जानकारी के मुताबिक हैरत की बात यह है कि ओली सरकार अपने सर्वे विभाग की रिपोर्ट को दरकिनार कर चुकी है।
सर्वे विभाग की रिपोर्ट को नकार चुकी है ओली सरकार
जानकारी के मुताबिक डोलाखा, गोरखा, डारचुला, हुमला सिंधुपालचौक, सनखुशवासभा और रसुआ में चीनी अतिक्रमण ज्यादा हुआ है। डोलाखा में करीब चीन 1.5 किमी अंदर दाखिल हो चुका है। पिलर नंबर 57 से काफी नीचे की तरफ चीन जा चुका है पहले नेपाली और चीन के बीच सीमा पिलर नंबर 57 के टॉप पर थी। इसके साथ ही गोरखा जिले में पिलर नंबर 35, 37 और 38 की स्थिति में चीन बदलाव कर चुका है। नेपाल के सरकारी नक्शे में चीन के कब्जे वाले गांव के लोग नेपाल सरकार को राजस्व देते हैं। लेकिन चीन इन इलाकों पर कब्जा कर तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन ऑफ चीन में शामिल कर चुका है।