- लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी और भारतीय फौज आमने सामने
- अनधिकृत तौर पर चीनी सैनिकों ने की थी घुसपैठ
- अब चीन की तरफ से सफाई आई हालात नियंत्रण में
नई दिल्ली। भारत का भूगोल कहता है कि देश में युद्ध की चिनगारी सदैव जलती रहेगी, क्योंकि हम दो ऐसे पड़ोसियों के साथ जीते हैं .जिनमें से एक हमारी ही पैदाइश है। लेकिन अब दूसरे की गोद में खेलता है और दूसरा वो है जिसकी रगों में विस्तारवाद की अंधी आस्था हिलोरें मारती है।ये वो देश है जो पीठ पर वार के लिए कुख्यात है। कई बार इसने ऐसा किया भी है। ताजा मामला लद्दाख में एलएसी के पास चालबाजी से जुड़ा है। सीमा विवाद का सहारा लेकर वो भारतीय सीमा में दाखिल होता है प्रतिरोध होने पर पीछे हट जाता है, फिर दबाव बढ़ने पर गुमराह करने वाला बयान देता है।
पहले बवाल और अब सफाई
चीनी विदेश मंत्रालय केप्रवक्ता झाओ लिजियान का कहना है कि हमें विश्वास है कि दोनों देश ताजा हालात को संवाद के जरिए सुलझा लेंगे। इस समय भारत-चीन सीमा पर हालात सामान्य और नियंत्रण में है। कूटनीतिक और सैन्य संचार चैनल दोनों सामान्य तौर से काम कर रहे हैं। चीन का मत है कि अगर विवाद की कुछ वजह है तो उसे सामान्य बातचीत के जरिए ही सुलझा लेना चाहिये।
5 अप्रैल 2020 को भी लद्दाख में सैनिकों के बीच झड़प
इससे पहले 5 अप्रैल को देर रात ईस्ट लद्दाख में दोनों तरफ के सैनिक आपस में भिड़े। सैनिकों के बीच हाथापाई हुई और पत्थरबाजी भी। इसमें दोनों तरफ के कुछ सैनिकों को हल्की चोटें भी आई हैं। स्थानीय कमांडर स्तर पर बातचीत से इस टकराव को भी खत्म किया गया। यही नहीं नॉर्थ सिक्किम में करीब 19000 फीट की ऊंचाई पर मई के महीने में टकराव हुआ था। दोनों तरफ के सैनिकों ने अग्रेसिव बिहेवियर दिखाया। दोनों ही तरफ से सैनिकों को कुछ चोटें भी आई हैं।इस झड़प में 4 भारतीय सैनिक और 7 चीनी सैनिक घायल हो गए। इस विवाद में 150 सैनिक शामिल थे।