- भारत के राफेल लड़ाकू विमानों का मुकाबला करने के लिए चीन से जे-10 फाइटर प्लेन खरीद रहा पाकिस्तान
- रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का जे-10 लड़ाकू विमान इजरायल के लावी फाइटर की तकनीक पर बना है
- इजरायल ने करीब 30 साल पहले लावी फाइटर प्लेन का उत्पादन बंद कर दिया, निर्माण में भारी लागत आई थी
नई दिल्ली : भारत के राफेल लड़ाकू विमान का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान ने चीन से 25 जे-10 (Chinese J-10) लड़ाकू विमान खरीद रहा है। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी रूप एवं मारक क्षमता के लिहाज से राफेल चीन के इस फाइटर प्लेन से आगे है। विशेषज्ञों को जे-10 की क्षमता पर संदेह है। अब इजरायल के समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट में चीन के इस लड़ाकू विमान के बारे में चौंकाने वाला दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा माना जाता है कि चीन ने अपने जे-10 लड़ाकू विमान का निर्माण इजरायली फाइटर प्लेन लावी को आधार बनाकर किया है। हालांकि, इजरायल ने 30 साल पहले अपने इस लड़ाकू विमान का उत्पादन बंद कर दिया।
पाक के गृह मंत्री ने दी इस डील की जानकारी
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने पिछले सप्ताह चीन के इस लड़ाकू विमान के खरीदे जाने के बारे में जानकारी दी। राशिद ने कहा कि यह लड़ाकू विमान राफेल का मुकाबला करेगा। हालांकि, इस डील के बारे में न तो चीन और न ही पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से कोई घोषणा की है। रक्षा क्षेत्र से जुड़े जानकारों का मानना है कि 1980 के दशक में इजरायल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज ने जिस तकनीक को विकसित किया, चीन का यह फाइटर जेट उसी तकनीक पर आधारित है।
1987 में लावी फाइटर जेट्स प्रोजेक्ट पर रोक लगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्झाक समीर की कैबिनेट ने अगस्त 1987 में लावी फाइटर जेट्स प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी। दरअसल, अरबों डालर की यह परियोजना विवादों में आ गई थी। इन विमानों के निर्माण में लागत में हुई बढ़ोत्तरी एवं अमेरिकी दबाव के चलते लावी जेट का निर्माण रोकना पड़ा। रीगन प्रशासन ने भी इस परियोजना को बंद करने के लिए कहा। इसके बदले अमेरिका ने इजरायल से कहा कि लावी प्रोजेक्ट के बंद हो जाने पर वह उच्च स्तर के तकनीकी अनुसंधान एवं विकास में इजरायल की मदद करेगा।
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चीन-इजरायल में सहयोग पर रिपोर्ट छपी
साल 1988 में लंदन के संडे टाइम्स में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई जिसमें कहा गया कि इजरायल अपनी उन्नत मिसाइल तकनीक चीन को बेचने और लावी की तकनीक पर आधारित फाइटर प्लेन के निर्माण में बीजिंग की मदद करने के लिए तैयार हुआ है। हालांकि, इस रिपोर्ट से तत्कालीन रक्षा मंत्री यित्जहाक रॉबिन ने इंकार किया। दरअसल, उस समय चीन और इजरायल के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं थे। बाद में चीन के फाइटर जेट जे-10 ने साल 1998 में अपनी पहली उड़ान भरी।
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इजरायल की वायु सेना में अमेरिकी विमान
इजरायली एयर फोर्स के वेपन डिपार्टमेंट के पूर्व प्रमुख कोबी रिच्टर ने लावी फाइटर का उत्पादन बंद करने के फैसले के बारे में कहा कि 'इस परियोजना के बंद होने से देश भारी आर्थिक नुकसान एवं सैन्य ताकत के निर्माण में एक बड़ी गलती से बच गया।' बता दें कि इजरायल की वायु सेना में ज्यादातर अमेरिकी लड़ाकू विमान शामिल हैं। इजरायल ने गत फरवरी में घोषणा की कि वह अमेरिका से ईंधन भरने वाले चार नए एयरक्राफ्ट एवं 25 एफ-35 फाइटर प्लेन का एक स्क्वॉड्रन खरीद रहा है।