बीजिंग: चीन में कोरोना वायरस का कहर इस कदर पड़ रहा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। वायरस इन्फेकशन से लोगों को बचाने के लिए चीन की सरकार ने नए साल की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है। कोरोना वायरस को फैलने से बचाने के लिए जरूरी सरकारी सेवाओं में लगे कर्मचारियों को छोड़कर अन्य का घर पर रहना सुनिश्चित किया। माना जा रहा है कि 10 फरवरी तक स्थितियां सामान्य हो जाएंगी और लोग काम पर लौट आएंगे।
लेकिन वर्तमान में कामकाजी लोग परेशान हो रहे हैं। बीजिंग के एक रेस्टोरेंट में काम करने वाली लेनिन गुओ ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा, मैंने पिछले 2 सप्ताह से बमुश्किल कुछ कमाया हो। मुझे नहीं मालूम की मैं कितने दिनों तक इस तरह गुजारा कर पाउंगी। रोते हुए उन्होंने आगे कहा, मैं जीना चाहती हूं।'
गुवो की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और वो पिछले चार साल से डायलिसिस के सहारे जी रही है। वो तलाकशुदा हैं और उनकी कोई औलाद नहीं है। वो पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं बावजूद इसके उन्हें सप्तान में तीन दिन अस्पताल जाना पड़ता है। लेकिन रोजमर्रा की कमाई बंद होने के बाद उनके लिए डॉक्टर के पास जाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में वो ज्यादा दिन तक बगैर डायलिसिस के जीवित नहीं रह पाएंगी।
चीन में कोराना वायरस की वजह तकरीबन 6 सौ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 20 हजार से ज्यादा लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुके हैं। चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस की ऐसी मार पड़ी है उसे उससे उबरने में महीनो लग जाएंगे। लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव चीन में इनफॉर्मल सेक्टर के लोगों पर पड़ा है। वर्ल्ड लेबर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 54.5 प्रतिशत इनफॉर्मल सेक्टर में काम करते हैं। इनमें से अधिकांश कूरियर सेवाओं और निर्माण क्षेत्र में काम कर रहे हैं जबकि अन्य सेल्फ एम्पलॉयड हैं। जिनके पास न तो नियमित आय का स्रोत है और न ही बीमा। कोरोना वायरस की मार ऐसे कामगर लोगों पर सबसे पहले पड़ी है।