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Coronavirus जैसी बीमारी सदी में एक बार लेकिन असर दशकों तक, 2009 से अब तक 6 बार मेडिकल इमरजेंसी

Updated Aug 01, 2020 | 15:35 IST

world health organization corona pandemic: विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना जैसे संकट सदी में एक बार ही आते हैं और उसका प्रभाव दशकों तक बना रहता है।

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पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस का साया
मुख्य बातें
  • कोरोना जैसे संकट सदी में एक बार और प्रभाव दशकों तक महसूस किए जाते हैं
  • 2009 से अब तक छह बार अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषणा
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि समय पर दुनिया को इस वायरस के बारे में जानकारी दी गई थी।

नई दिल्ली।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक महामारी कोविड-19 को एक ऐसा स्वास्थ्य संकट करार दिया है जो एक सदी में एक ही बार आता है और जिसके प्रभाव आने वाले कई दशकों तक महसूस किए जाते रहेंगे. 30 जनवरी 2020 को यूएन एजेंसी की आपात समिति ने कोविड-19 को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया था जिसके छह महीने पूरे होने पर शुक्रवार, 31 जुलाई, को समिति ने फिर बैठक कर मौजूदा हालात की समीक्षा की है। जनवरी 2020 के बाद अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक आपात समिति ने पहली बार कोरोनावायरस संकट पर चर्चा की थी जिसके बाद समति की यह चौथी बैठक है।  

समिति की सिफारिश पर ही आपात स्थिति की घोषणा
आपात समिति को सम्बोधित करते हुए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि छह महीने पहले आपात समिति की सिफ़ारिश पर ही अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणा की गई थी।उस समय चीन से बाहर किसी संक्रमित की मौत नहीं हुई थी और महज़ 98 मामलों की ही पुष्टि हुई थी। यह वैश्विक महामारी एक सदी में एक बार आने वाला स्वास्थ्य संकट है जिसके प्रभाव आने वाले कई दशकों तक महसूस किए जाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि बहुत से वैज्ञानिक सवालों का जवाब ढूँढ लिया गया है लेकिन अनेक सवाल अब भी अनुत्तरित हैं।

ज्यादातर आबादी कोरोना वायरस के लपेटे में 
कुछ अध्ययनों के शुरुआती नतीजे दर्शाते हैं कि विश्व की अधिकाँश आबादी पर अब भी इस वायरस से संक्रमित होने का जोखिम मंडरा रहा है, उन इलाक़ों में भी जहाँ पहले ही व्यापक स्तर पर संक्रमण का फैलाव हो चुका है।बहुत से देश जिनका मानना था कि अब वे ख़राब हालात से गुज़र चुके हैं, उन्हें भी नए फैलाव से जूझना पड़ रहा है। “शुरुआती हफ़्तों में जो देश कम प्रभावित थे अब वहाँ तेज़ी से संक्रमणों व मौतों की संख्या बढ़ रही है. व्यापक स्तर पर संक्रमणों का सामना करने वाले कुछ उन पर क़ाबू पाने में सफल रहे हैं। यूएन एजेंसी प्रमुख ने स्पष्ट किया है कि असरदार वैक्सीन को विकसित करने के प्रयास तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमें इस वायरस के साथ रहना सीखना होगा, और मौजूदा औज़ारों के साथ इससे लड़ना होगा. 


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक छह बार अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषणा की है।

  1. एच1एन1 (2009)
  2. पोलियो (2014)
  3. पश्चिम अफ़्रीका में इबोला (2014)
  4. ज़ीका (2016)
  5.  काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला (2019)
  6. कोविड-19 (2020) 

एजेंसी की सिफारिश बाध्यकारी नहीं
अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणा के तहत यूएन स्वास्थ्य एजेंसी कुछ अस्थाई सिफ़ारिशें जारी करती है। ये अनुशंसाएं बाध्यकारी नहीं होती हैं लेकिन व्यावहारिक व राजनैतिक रूप से ऐसे उपायों के रूप में होती हैं जिनसे यात्रा, व्यापार, मरीज़ को अलग रखे जाने, स्क्रीनिंग व उपचार पर असर पड़ता है। साथ ही यूएन एजेंसी इस संबंध में वैश्विक मानक स्थापित कर सकती है।
(स्रोत- यूएन न्यूज हिंदी)