न्यूयार्क : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड को कश्मीर मसले पर इतनी दिलचस्पी है कि जब कभी मौका मिलता है, वह इस पर अपनी टिप्पणी देने से चूकते नहीं हैं। दो दिनों पहले ही उन्होंने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से हुई मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार के साथ-साथ कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर भी चर्चा की बात कही। लेकिन दोनों नेताओं का जो आधिकारिक बयान आया है, उसमें इसका कहीं भी जिक्र नहीं है।
दावोस में मंगलवार को ट्रंप और इमरान खान की मुलाकात हुई, जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उनके बीच द्विपक्षीय व्यापार के साथ-साथ कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर भी बात हुई और अमेरिका दक्षिण एशिया के हालात पर भी करीब से नजर बनाए हुए है। लेकिन इस संबंध में जो आधिकारिक बयान आया है, उसमें कश्मीर का कहीं भी जिक्र नहीं है, बल्कि 'क्षेत्रीय मुद्दों' और अन्य विषयों पर चर्चा का जिक्र है, जिसमें अफगानिस्तान का मुद्दा प्रमुखता से शामिल है, जहां अमेरिका तालिबान के साथ शांति प्रक्रिया को लेकर बातचीत कर रहा है।
इमरान खान से मुलाकात से ठीक पहले ट्रंप ने कहा था, 'हम कश्मीर पर बात कर रहे हैं, भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर भी हमारी बात हो रही है... अगर हम किसी तरह की मदद कर सकते हैं तो निश्चित रूप से करेंगे।' यह पहली बार नहीं है, जब ट्रंप ने इमरान खान से मुलाकात के दौरान कश्मीर को लेकर इस तरह की टिप्पणी की है। इससे पहले जुलाई 2019 में भी उन्होंने अपने इसी तरह के बयान से हलचल पैदा कर दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मसले पर हस्तक्षेप के लिए कहा। हालांकि भारत ने इससे साफ इनकार कर दिया।
भारत पहले ही साफ कर चुका है कि इस मामले में उसे किसी भी तीसरे पक्ष की दखअंदाजी स्वीकार नहीं होगी। भारत बार-बार इस संबंध में 1972 के शिमला समझौते का जिक्र करता रहा है, जिसमें दोनों देशों ने आपसी विवादों का निपटारा द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने पर सहमति जताई।