वाशिंगटन : अफगानिस्तान से सैन्य वापसी को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चौतरफा आलोचनाओं से घिरे हैं। अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथों में आने के बाद न केवल अफगान, बल्कि अमेरिकी नागरिकों में भी चिंता है, जो अब तक अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। राष्ट्रपति बाइडन ने इसके लिए 31 अगस्त तक की समय सीमा तय की है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या तब तक सभी नागरिकों की वापसी सुनश्चित हो सकेगी?
इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनालड ट्रंप ने एक बार फिर अफगान नीति को लेकर जो बाइडेन पर हमला बोला है। उन्होंने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बाइडेन ने आतंकियों के सामने घुटने टेक दिए हैं और हजारों अमेरिकियों को मरने छोड़ दिया। रिपब्लिकन नेता ने यह आशंका भी जाहिर की कि निकासी अभियान के जरिये कहीं बड़ी संख्या में आतंकी न अफगानिस्तान से बाहर निकल गए हों, जो आने वाले वक्त में बड़ी सिरदर्दी का कारण बन सकते हैं।
'अमेरिकियों को मरने के लिए छोड़ दिया'
ट्रंप ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, 'बाइडेन ने अफगान आतंकियों के सामने घुटने टेक दिए हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला कर उन्होंने हजारों अमेरिकियों को मरने के लिए छोड़ दिया। अब हमें पता चला है कि निकाले गए 26,000 लोगों में से केवल चार हजार ही अमेरिकी थे।' पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा कर चुके तालिबान ने निकासी उड़ानों में सबसे प्रतिभाशाली लोगों को चढ़ने की अनुमति भी नहीं दी।
उनकी यह टिप्पणी बाइडेन के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि 14 अगस्त से अब तक अफगानिस्तान से 70,700 लोगों को निकाला जा चुका है और अफगानिस्तान से लोगों को एयरलिफ्ट कराने का काम जल्द से जल्द पूरा करना होगा, क्योंकि यहां इस्लामिक स्टेट (IS) का खतरा बढ़ रहा है।
अफगान आतंकियों को लेकर जताई आशंका
निकासी अभियान के जरिये आतंकियों के संकटग्रस्त मुल्क से बाहर निकलने की आशंका जताते हुए ट्रंप ने कहा, 'हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि अफगानिस्तान से कितने आतंकियों को हवाई मार्ग से निकाला गया... यह एक भयानक विफलता है। कोई पुनरीक्षण नहीं किया गया। जो बाइडेन जानें कितने आतंकियों को अमेरिका लाएंगे?'
इससे पहले ट्रंप ने अफगानिस्तान में 'अराजकता' के लिए बाइडेन को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी और यह भी कहा था कि अगर वह सत्ता में रहे होते तो स्थिति अलग होती और अमेरिका, अफगानिस्तान से 'सफलतापूर्वक' बाहर निकल गया होता।