- तीन नवंबर को होंगे अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव
- इस बार राष्ट्रपति ट्रंप और जो बिडेन के बीच मुकाबला
- भारतीय मतदाताओं को लुभाना चाहती है रिपब्लिकन पार्टी
वाशिंगटन : अमेरिकी चुनाव में भारतीय मूल के मतदाताओं को रिझाने के लिए रिपब्लिकन पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का जिक्र करने से नहीं चूक रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने कहा है कि उनके पिता और पीएम मोदी के बीच युगलबंदी 'असाधारण' हैं और इससे आगे चलकर दोनों देश लाभान्वित होंगे। अमेरिका में इन दिनों राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर हैं। राष्ट्रपति पद के लिए तीन नवंबर को मतदान होगा।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक न्यूयॉर्क आइलैंड में एक समारोह से इतर जूनियर ने कहा, 'मेरा मानना है कि मेरे पिता राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के बीच संबंध असाधारण हैं। इन दोनों को एक साथ देखना मैं काफी पसंद करता हूं। मुझे अच्छा लगता है कि दोनों लोगों के बीच असाधारण संबंध हैं। उनके बीच इस तरह के संबंध से दोनों देशों को लाभ पहुंचेगा। अमेरिका और भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं। इससे साम्यवाद और पूंजीवाद से लड़ने में मदद मिलेगी।' जूनियर ने राष्ट्रपति ट्रंप की गत फरवरी में हुई भारत यात्रा का भी जिक्र किया।
डोनाल्ड जूनियर ट्रंप अपने पिता के चुनाव प्रचार अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में जो बिडेन का चुनकर आना ठीक नहीं होगा क्योंकि उनका झुकाव चीन की तरफ हो सकता है। जूनियर ने आगे कहा कि भारतीय अमेरिकियों से ज्यादा चीन के खतरे को और कोई नहीं समझता और जो बिडेन यदि चुनकर आए तो यह भारत के लिए 'अच्छा' नहीं होगा। जूनियर ने अपनी पुस्तक में बिडेन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। जूनियर का आरोप है कि बिडेन यदि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतते हैं तो चीन उनका 'इस्तेमाल'' भारत के खिलाफ करेगा।
अमेरिका में इस बार कांटे का चुनाव माना जा रहा है। पहली प्रेसडेंशियल बहस के बाद हुए कई सर्वे में डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को राष्ट्रपति ट्रंप पर बढ़त लेते हुए बताया गया है। चुनाव के जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला काफी नजदीकी हो सकता है। कई राज्यों में भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। रिपब्लिकन पार्टी इन एनआरआई मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है। एनआरआई पारंपरिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी को चुनते आए हैं लेकिन विगत कुछ वर्षों में रिपब्लिकन नेता इस समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रहे हैं।