- अमेरिका में कोरोना से 12 हजार से ज्यादा की मौत, चार लाख से अधिक लोग पीड़ित
- भारत ने हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की आंशिक इजाजत दी
- हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन को असरदार दवा के तौर पर माना गया
नई दिल्ली। अमेरिका उन देशों में शामिल है जो कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है। अमेरिका में अब तक 12 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं और चार लाख से ज्यादा प्रभावित हैं। अभी तक के शोध के मुताबिक कोरोना के खिलाफ जंग में हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन दवा कारगर हो सकती है। लेकिन अमेरिका के पास इस दवा की कमी है और डोनाल्ड ट्रंप परेशान हैं। परेशानी की इस घड़ी में वो भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे। लेकिन जब भारत की तरफ से राहत वाली बात नहीं सुनने को मिली तो वो धमकी पर उतर आए। लेकिन जब तस्वीर बदली तो वो खुश हुए और पीएम नरेंद्र मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं।
इसलिए बदला ट्रंप का सुर
फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हैं। भारत ने साफ कर दिया था कि हाइड्राक्सीक्लोरीक्वीन के मसले पर पहले वो अपनी जरूरत देखेगा और उसके बाद फैसला करेगा। अब भारत की तरफ से निर्यात पर आंशिक ढील देने के बाद अमेरिका को यह दवा मिल सकेगी। भारत से दुनिया के करीब 30 देशों ने मांग की थी। भारत की तरफ से कहा गया कि पहले वो अपनी जरूरत के बाद पड़ोसी देशों की मदद करेगा। उसके बाद वो देश आएंगे जो कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ट्रंप के धमकी वाले अंदाज को भारतीय विदेश मंत्रालय ने तूल न देने की अपील की थी।
भारत के पास दवा का पर्याप्त भंडार
अगर हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन के स्टॉक और उत्पादन क्षमता की बात है तो भारत 30 दिन में 20 करोड़ टैबलेट बना सकता है। कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज में इस दवा की 14 टैबलेट की जरूरत होती है इस हिसाब से भारत को सात करोड़ टैबलेट की जरूरत होगी जो पर्याप्त मात्रा में है। अगर उत्पादन की बात करें तो भारत के पास इतना कच्चा माल मौजूद है कि 6 महीने तक उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा। यहां यह जानना जरूरी है कि हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन के उत्पादन के लिए कच्चा माल चीन से आता है।