नई दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में अफगानिस्तान के अपने समकक्ष मोहम्मद हनीफ अतमार से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में राजनीतिक एवं सुरक्षा हालात तथा शांति प्रक्रिया को लेकर बातचीत की। भारत ने इस दौरान अफगानिस्तान में हिंसा पर चिंता जताते हुए खून-खराबा रोकने पर जोर दिया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की परिषद और अफगानिस्तान पर SCO संपर्क समूह की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर दुशान्बे पहुंचे, जहां अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमार से उनकी मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद अफगानिस्तान सरकार की ओर से जारी बयान में अफगान शांति प्रक्रिया में भारत की रचनात्मक भूमिका को रेखांकित किया गया।
अफगानिस्तान में हिंसा पर चिंता
अफगान सरकार की ओर से जारी बयान में नागरिकों और अफगान रक्षा बलों के खिलाफ विदेशी लड़ाकों, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क के साथ मिलकर तालिबान के हमलों में बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से इस साझा खतरे पर काबू पाना बेहद जरूरी है। इसमें कहा गया है कि भारत ने अफगानिस्तान में हिंसा पर बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताते हुए रक्तपात खत्म करने पर जोर दिया।
इस मुलाकात को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ट्वीट किया और कहा, 'मेरे दुशान्बे दौरे की शुरुआत अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार से मुलाकात के साथ हुई। हालिया घटनाक्रम पर उनसे बात हुई। अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की कल होने वाली बैठक को लेकर उत्साहित हूं।'
वैश्विक चिंता का कारण बना तालिबान
भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जबकि अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के बीच तालिबानी लड़ाके देश के अधिकतर इलाकों को तेजी से अपने नियंत्रण में ले रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबदबे ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।
अफगान बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच हिंसक झड़प के मद्देनजर भारत ने कंधार स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 राजनयिकों एवं सुरक्षा कर्मियों को सुरक्षित निकाला है। हालांकि यहां भारतीय वाणिज्यदूतावास अभी बंद नहीं हुआ है। कंधार के साथ-साथ मजार-ए-शरीफ स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास का भी संचालन जारी है।
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच चीन और फ्रांस सहित कई अन्य देशों ने भी सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अपने नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ने को कहा है।